राजीव गांधी हत्याकांड की जांच कर रही एजेंसी MDMA को मोदी सरकार ने किया भंग

नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या में व्यापक साजिश की जांच के लिए गठित 24 वर्ष पुरानी बहु-विषयक निगरानी एजेंसी (MDMA) को खत्म कर दिया है। अधिकारियों ने मंगलवार (18 अक्टूबर) को यह जानकारी दी है। बता दें कि, MDMA, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के तहत कार्य कर रही थी और इसमें कई केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अफसर शामिल थे। अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी को भंग करने का आदेश मई में जारी कर दिए गए थे और लंबित जांच को CBI की एक अलग यूनिट को सौंप दिया गया है।

बता दें कि, MDMA को 1998 में एमसी जैन आयोग की सिफारिश पर केवल दो वर्षों के लिए स्थापित किया गया था और इसे वार्षिक विस्तार दिया गया था, मगर यह कोई बड़ी सफलता हासिल करने में नाकाम रही। पुलिस उप महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व वाली एजेंसी ने बैंकिंग लेनदेन समेत मामले के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी मांगने के लिए श्रीलंका, ब्रिटेन और मलेशिया जैसे राष्ट्रों को 24 अनुरोध पत्र भेजे थे।  उन्होंने कहा कि इन देशों ने 20 से ज्यादा अनुरोध पत्रों का जवाब दिया और कुछ ही शेष थे। 

सूत्रों ने बताया है कि जांच तक़रीबन पूरी हो चुकी है और कुछ लंबित न्यायिक अनुरोधों या MDMA द्वारा भेजे गए अनुरोध पत्र के मुद्दे को अब CBI देखेगी। उन्होंने कहा कि उपमहानिरीक्षक (DIG) को सौंपे जाने से पहले शुरू में MDMA संयुक्त निदेशक-स्तर के एक अधिकारी के नेतृत्व में काम करती थी, जिसने कई देशों में साजिश के बारे में कोई हैरान करने वाला खुलासा नहीं किया। बता दें कि 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान धनु नाम के लिट्टे के आत्मघाती हमलावर ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। 

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