वाराणसी: केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत, कंबोडिया में स्थित विश्व के सबसे बड़े हिन्दू मंदिर अंगकोर वाट मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार कर रहा है, क्योंकि हमारी सभ्यता भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दुनियाभर में फैली हुई है। हमारा प्रयास इसलिए भी अहम है, क्योंकि हम अपनी प्राचीन विरासतों को आने वाली पीढ़ी के लिए संजोकर रखना चाहते हैं। बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में जारी काशी तमिल संगमम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने यह बात कही। उन्होंने चीन में हिन्दू मंदिरों के अवशेष, अमेरिका में हजारों मंदिरों और नेपाल में रामायण सर्किट के लिए 200 करोड़ वाले पीएम नरेंद्र मोदी के वादे का भी उल्लेख किया। एस जयशंकर ने कहा कि, 'मैं उपराष्ट्रपति के साथ विश्व के सबसे बड़े मंदिर अंगकोर वाट मंदिर परिसर को देखने के लिए गया था। आज, हम अंगकोर वाट में मंदिरों का जीर्णोद्धार और जीर्णोद्धार कर रहे हैं। ये ऐसे योगदान हैं, जो हम बाहर कर रहे हैं क्योंकि भारत की सभ्यता पूरी दुनिया में फैली हुई है। आज जब हम भारतीय सभ्यता को पुनर्स्थापित, पुनर्निर्माण और पुनः सक्रिय कर रहे हैं, तो हमारा कार्य सिर्फ भारत में ही नहीं है। हमारा कार्य पूरी दुनिया में है। हमारा भरोसा है कि हमारे व्यापारी और अन्य वर्ग के लोग विश्व के भ्रमण पर गए थे।' चीन में भारत के राजदूत के तौर पर अपने दिनों को याद करते हुए जयशंकर ने कहा कि, 'आप में से कुछ लोग जानते हैं कि मैं कई सालों से चीन में राजदूत रहा हूं। मैंने पूर्वी तट पर चीन में भी हिंदू मंदिरों के अवशेष देखे हैं।' उन्होंने कहा कि अयोध्या और कोरिया के बीच एक काफी खास संबंध है, इसीलिए वहां के लोग अयोध्या से जुड़ना चाहते हैं। उन्होंने बहरीन में श्रीनाथ जी मंदिर का भी जिक्र करते कहा कि, 'इन सभी को हमारे लोगों ने स्थापित किया था, इसमें बहरीन में स्थित हिन्दू मंदिर भी शामिल है। हमने वियतनाम में भी काफी काम किया है।' अमेरिका में 1,000 से अधिक मंदिर हैं। उन्होंने कहा कि, 'श्रीलंका में भी हमने मन्नार में थिरुकेतीश्वरम मंदिर का जीर्णोद्धार किया। यह मंदिर 12 वर्षों से बंद था। हमने रुचि ली, प्रयास किए तब उस मंदिर के पुनरुद्धार को संभव बना पाए।' तिरुकेथीश्वरम मंदिर, भगवान शिव को समर्पित 5 पवित्र ईश्वरमों में शामिल है, जिसकी पूरे उपमहाद्वीप में शैव लोग पूजा करते हैं और यह मंदिर श्रीलंका के इतिहास में सबसे कठिन अवधि का गवाह था, क्योंकि यह सशस्त्र संघर्ष के दौरान 12 सालों के लिए बंद था और फिर से खोल दिया गया था 2002 में। विदेश मंत्री ने कहा कि 3.5 करोड़ भारतीय मूल के वे लोग हैं, जो विदेशों में भारतीय संस्कृति को अपने साथ लेकर गए, तो आज उनका समर्थन करने की हमारी कोशिश भी है, और हम इसे अलग-अलग तरीकों से करते हैं।' बता दें कि, पीएम मोदी ने नेपाल में रामायण सर्किट बनाने के लिए 200 करोड़ रुपये देने का वादा किया है, ताकि हम सभी को अपनी विरासत को लगभग से देखने का मौका मिले। हमने नेपाल में सांस्कृतिक विरासत की बहाली के लिए 50 मिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है। रामपुर: 12 साल पहले आज़म खान ने बनाया था मुसलमान, अब 80 लोगों ने सनातन धर्म में की घर वापसी भारत जोड़ो यात्रा में 'जेबकतरों' का आतंक ! 100 लोगों का मोबाइल-सामान चोरी 'सियासी दलों के अंदर भी लोकतंत्र लाए चुनाव आयोग..', लोकसभा में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी का बिल