राजीव गांधी के कातिलों को रिहा करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची मोदी सरकार

नई दिल्ली: देश के पूर्व पीएम राजीव गांधी के कातिलों को रिहा करने के फैसले के खिलाफ मोदी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। सरकार ने नलिनी सहित 6 दोषियों को रियायत देने के फैसले पर शीर्ष अदालत से दोबारा विचार करने की मांग की है। 11 नवंबर को शीर्ष अदालत ने पूर्व पीएम राजीव गांधी के दोषियों को रिहा करने का निर्णय लिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नलिनी सहित 6 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया था।

केंद्र सरकार ने कहा है कि राजीव गांधी की हत्या करने वाले दोषियों को रियायत देने का आदेश मामले में एक जरुरी पक्षकार होने के बाद भी, उसे सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिए बगैर पारित किया गया। केंद्र सरकार ने कथित प्रक्रियात्मक चूक को उजागर करते हुए कहा कि छूट की मांग करने वाले दोषियों ने औपचारिक रूप से केंद्र को एक पक्ष के तौर पर शामिल नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप मामले में उसकी गैर-भागीदारी हुई।

समीक्षा याचिका में कहा गया है कि 11 नवंबर का आदेश “पेरारिवलन (Perarivalan) आदेश पर गलत तरीके से विश्वास करके पारित किया गया है” और कहा कि 'भारत संघ द्वारा किसी भी मदद के अभाव में इसे इंगित नहीं किया जा सकता है” कि 18 मई का आदेश ‘वास्तव में और कानून में, शेष सह-अपराधियों के मामले में लागू नहीं था क्योंकि, ज्यादातर अपीलकर्ता विदेशी नागरिक थे और उनकी पेरारिवलन की तुलना में एक अलग और ज्यादा गंभीर भूमिका थी।'

केंद्र सरकार ने कहा कि 'देश के पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या के जघन्य अपराध के लिए देश के कानून के मुताबिक, विधिवत दोषी ठहराए गए विदेशी राष्ट्र के आतंकवादी को छूट देना एक ऐसा मामला है, जिसका अंतरराष्ट्रीय प्रभाव है और इसलिए यह पूरी तरह से भारत संघ की संप्रभु शक्तियों के अंतर्गत आता है।'

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