देश में केंद्र की मोदी सरकार को लगभग चार साल पूरे होने को है. इन पिछले चार सालों में देश ने काफी कुछ देखा और सहा. देशवासियों ने नोटबंदी की मार सही, डीजल पेट्रोल के ऊँचे दाम सहे, अमीरों को और अमीर बनते व गरीबो को आत्मदाह करते भी देखा. विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे अरबपतियों को देश में डाका डालते देखा तो प्रधानमंत्री की महँगी विदेश यात्राओं और अशांत कश्मीर में शहीद हो रहे जवानो को भी जनता ने चुप्पी साधे देखा. पिछले चार सालों में हमने अपने प्रधान सेवक को सिर्फ एकतरफा बातें करते ही सुना, कभी किसी सवाल का सही जवाब देते प्रधानमंत्री मोदी को नहीं देखा गया. कभी विपक्ष ने किसी मुद्दे पर सरकार की तरफ ऊँगली उठाई, तो पीएम मोदी ने जुमलों का सहारा लें देश की जनता को बेवकूफ बनाने के अलावा और कुछ नहीं किया. हालांकि अब देश की ज्यादातर जनसँख्या को बीजेपी का गणित धीरे-धीरे समझ आने लगा है. साथ ही विपक्ष भी अब सरकार की कमजोरियों को उजागर करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है. इसी क्रम में आप सांसद भगवत मान ने संसद में पीएम मोदी की एकतरफ़ा बात करने वाली सरकार को जमकर लपेटे में लिया. भगवत मान ने शेरों शायरी के अंदाज में केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. मान ने कहा, पेट्रोल और डीजल के दाम आम जनता की पहुँच से दूर हो रहे है, किसान देशभर में खुदखुशी करने पर मजबूर हो रहे है. मोदी सरकार से एक सवाल है कि अब तो आपको बने हुए चार साल होने वाले है इस दौरान आपने कई जुमले भी सुना दिए. एक बात साफ़ साफ बता दीजिये कि अच्छे दिन कब आने वाले है. मान ने आगे कहा, स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागु करने का इरादा कहा गया. हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा कहा गया. कबतक इस देश के नौजवान बेरोजगारी की आग में जलेंगे या फिर बीए एमए करके पकोड़े ही तलेंगे. आप लोग सिर्फ भाषण देने वाले है. आपके भाषण के ढंग भी निराले है. उसी ढंग से बता दीजिये अच्छे दिन कब आने वाले है. मान ने संसद में खुद को बोलने देने के की गुजारिश करते हुए कहा, डिजिटल इंडिया बोलकर नई उम्मीद जगा, देश के नौजवानो में और देश को उलझा रखा है खिलजी, शाहजहां और टीपू सुल्तानों में...और सरकार की योजनाओं का व्यक्ति कुछ ख़ास ले रहे है. सन्यासी व्यापार कर रहे है और व्यापारी संन्यास ले रहे है. प्रधानमंत्री मोदी जी जहाँ भी जाने वाले है, लोग उनसे एक ही सवाल उठाने वाले है कि बताइये मोदी जी..अच्छे दिन कब आने वाले है. हालांकि केंद्र सरकार ने स्वछता को लेकर देश में जिस क्रांति की शुरुआत की है वो काफी सराहनीय है लेकिन गंगा सफाई से देश का ध्यान भटकाना, सरकार की सबसे बड़ी नाकामी भी है. रोहिंग्या की तबाही में म्यांमार का हाथ: ह्यूमन राइट्स इन्हे कहा जाता है बांग्लादेश की सनी लियोन