नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र सीमा में परिवर्तन करने को लेकर पुनर्विचार कर रही है. सरकार का मानना है कि इस निर्णय से मातृ मृत्युदर (maternal mortality) में गिरावट आएगी. केंद्र सरकार इसके पीछे शीर्ष अदालत के एक आदेश को वजह बता रही है. सरकार के इस फैसले के बाद लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष की जा सकती है. इस फैसले से लड़कियों के जीवन में कई परिवर्तन आएंगे. पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले से दिए भाषण में कहा कि बेटियों की शादी के लिए न्यूनतम उम्र पर पुनर्विचार करने के लिए समिति गठित की है. समिति अपनी रिपोर्ट पेश करने के बाद हम उचित फैसला लेंगे. इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अपने पिछले बजट भाषण में कहा था कि महिला के मां बनने की सही आयु के संबंध में सलाह देने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा. दरअसल सरकार के इस फैसले के पीछे शीर्ष अदालत का अक्टूबर 2017 में आया एक फैसला था. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि वैवाहिक बलात्कार (marital rape) से बेटियों को बचाने के लिए बाल विवाह पूरी तरह से गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था इस संबंध में सरकार खुद फैसला ले कि लड़कियों की शादी की आयु में कोई बदलाव चाहती है या नहीं. माना जा रहा है कि शीर्ष अदालत के इसी फैसले को लेकर सरकार ने प्रक्रिया शुरू की है. एयर इंडिया ने रातों रात टर्मिनेट किए 48 पायलट, बताई ये वजह पेट्रोल-डीजल के रेट में आज नहीं हैं कोई बदलाव, जानें क्या हैं कीमत जानिए क्या है राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन क्या है और इससे लोगों को क्या होगा लाभ