भरोसे और विश्वास से नए रिश्तों की इबारत लिखते भारत-चीन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपनी चीन यात्रा के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की जिसमे रिश्ते की नरमी को महत्त्व दिया जा रहा है. दोनों नेताओं की पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता के दौरान मोदी ने कहा कि दोनों देशों की सोच साझा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'पिछली बार जुलाई में जब हम मिले थे और हमारे बीच अनौपचारिक बातचीत का विषय डेवलप हुआ और आज आपने इस अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए निमंत्रण दिया और एक शानदार वातावरण बनाया. बहुत ही सकारात्मक वातावरण बनाया. इसमें आपका व्यक्तिगत तौर पर बहुत बड़ा योगदान है. मैं हृदय से बहुत ही प्रशंसा करता हूं.' पीएम मोदी ने कहा, 'मैं मानता हूं कि दुनिया की 40 फीसदी जनसंख्या का भला करने का दायित्व हमारे ऊपर आया है और 40 प्रतिशत जनसंख्या का भला करने का मतलब है विश्व को अनेक समस्याओं से मुक्ति दिलाने का एक सफल प्रयास और इस महान उद्देश्य को लेकर हमारा मिलना, साथ चलना और संकल्पों को पूरा करना. ये अपने आप में एक बहुत बड़ा अवसर है.'

प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के समय जो आपका वक्तव्य हुआ, उसमें आपने न्यू एरा की बात कही, मैं भारत में न्यू इंडिया की बात कर रहा हूं. ये इतनी समान भूमिका वाली हमारी सोच है. मैं समझता हूं कि यही तय करता है कि आपका न्यू एरा का सपना और हमारा न्यू इंडिया का प्रयास ये अपने आप में विश्व के लाभ के लिए सही दिशा में हमारा कदम है. जब संसार की शांति, स्थिरता और समृद्धि की दिशा में भारत-चीन चल रहे हैं, मैं 5 बहुत सकारात्मक तत्व देखता हूं. हमारे बीच की सोच, संपर्क, सहयोग, समान संकल्प, समान सपने. ये पांच तत्व हैं सोच, संपर्क, सहयोग, सपने, संकल्प विश्व की ताकत बन सकते हैं.

मोदी ने आगे कहा कि मैं सोचता हूं कि हमारे बीच जो ये निकटता बनी है, एक दूसरे के प्रति विश्वास पैदा हुआ है, समझ बनी है. ये धीरे-धीरे व्यक्ति से व्यक्ति संपर्क में किस प्रकार से कन्वर्ट होगी और वो सबसे बड़ी ताकत बनेगी. वो सिर्फ हम दो देशों की नहीं, दुनिया के उज्जवल भविष्य के लिए शक्ति बनेगी. आज शनिवार को मोदी और जिनपिंग वुहान की झील के किनारे टहलते-टहलते बात करेंगे. नाव पर सवारी करके भी एक दूसरे से बात करेंगे. उन्होंने ऐसी ही अनौपचारिक बातचीत के लिए शी जिनपिंग को भारत आने का न्यौता दे दिया है.

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