मोहम्मद रफी पुण्यतिथि विशेष: एक फनकार जिसने अपने गीतों से लोगों को 'हंसाया' भी 'रुलाया' भी

बॉलीवुड इंडस्ट्री में मशहूर गायको में शुमार मोहम्मद रफी साहब के बारे में तो हम बस यही कहेंगे जनाब की 'न फनकार तुझसा तेरे बाद आया, 'मोहम्मद रफी' तू बहुत याद आया...' जी हां मोहम्मद रफी के जैसा दिग्गज फनकार कोई दूसरा अभी तक नहीं आया है. आज उनकी 37 वीं पुण्यतिथि है. मोहम्मद रफी साहब का जन्म 24 दिसंबर 1924 को हुआ था व उनका निधन 31 जुलाई 1980 को मुंबई में. मोहम्मद रफी साहब का निधन क्या हुआ जैसे फिल्म इंडस्ट्री एक प्रकार से अनाथ ही हो गई. उनकी पुण्यतिथि पर आज हम कुछ ऐसी अनकही बातें आपके सामने लाए हैं जो उनकी गायकी के साथ व्यक्तिव को भी बयां कर रही हैं. रफी साहब के निधन के 8 साल बाद उनकी पत्नी बिलकिस रफी ने एक इंटरव्यू दिया था. इसमें उन्होंने रफी के बारे में कई खुलासे किए थे.

बिलकिस की बड़ी बहन की शादी रफी के बड़े भाई से हुई थी. उस समय बिलकिस 13 साल की थीं और छठी क्लास के एग्जाम दे रही थीं. तभी उनकी बहन ने उनसे कहा था कि कल रफी से तुम्हारी शादी है. बिलकिस शादी का मतलब भी नहीं जानती थी. उस समय रफी की उम्र 19 साल थी. रफी अपनी पहली पत्नी से अलग हो गए थे. तब रफी और बिलकिस की शादी कर दी गई थी. बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में 'तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे....' ये गाना सुनते है जो हमे मधुर आवाज कान में पड़ती है वो है हिंदी सिनेमा के सफल पार्श्‍वगायकों में शुमार मोहम्‍मद रफ़ी की. आज रफ़ी साहब को गुज़रे 37 साल हो गए है.

उनकी आवाज़ और अंदाज़ को अपनाकर कई गायकों ने अपना करियर भी बना लिया. मोहम्मद रफ़ी ने अपने रहते भले ही किसी को अपनी गायकी का वारिस घोषित न किया हो, लेकिन शब्बीर कुमार, मोहम्मद अजीज़ और अनवर जैसे कई गायक थे, जो रफ़ी साहब जैसा ही गाते थे. आज रफ़ी को गए 37 साल हो गए हैं, लेकिन उनकी आवाज़ की याद वैसी ही है जैसी पहले थी. मस्‍ती भरा गाना हो या फिर दुख भरे नग़में, भजन हो या कव्‍वाली, हर अंदाज़ में रफ़ी की आवाज़ पूरी तरह ढल जाया करती थी. मोहम्मद रफ़ी के बारे में एक किस्सा मशहूर है कि जब एक स्टेज शो के दौरान बिजली जाने की वजह से उस ज़माने के जाने माने गायक सहगल साहब ने गाना गाने से मना कर दिया, तो वहां मौजूद 13 साल के रफ़ी ने स्‍टेज संभाला और अपनी बुलंद आवाज़ में गाना शुरू कर दिया.  

आज भी तन्हाई में रफी के दर्द भरे नग़में विरह की कसक बन हमारी आँखों से आँसू बन छलकते है और हमराज बन हमारे दिल के दर्द को बँया करते हैं. क्या बात हो, जब रात हो, तन्हाई हो और रफी की रूहानी आवाज़ हो. तब रात गुनगुनाते हुए कब बीत जाएगी, आपको पता ही नहीं चलेगा. सुरों के इस नायाब कलाकार को श्रृद्धांजलि देने के साथ ही आप और हम एक नज़र डालते हैं रफी के सुरों में पिरोये खूबसूरत नग़मों पर – 

1.     बहारों फूल बरसाओ, मेरा मेहबूब आया है ... 2.     मैंने पूछा चाँद से .... 3.     आज मौसम बड़ा बेईमान है ... 4.     पत्थर के सनम तुझे हमने ... 5.     दिल पुकारे आ रे आ रे आ रे ... 6.     मेरे मेहबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम ... 7.     तेरे मेरे सपने अब एक रंग है ... 8.     बाबुल की दुआएँ लेती जा ... 9.     ईशारों ईशारों में दिल लेने वाले ... 10.   आजा आजा मैं हूँ प्यार तेरा ....  11.   दिल की महफि, सजी है चले आइएँ ... 12.   ये चाँद सा रोशन चेहरा ... 13.   खिलौना जानकर तुम तो .... 14.   अहसान तेरा होगा मुझ पर ... 15.   दिल के झरोखे में तुझको ...

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