ज्योतिष के मुताबिक, हस्तरेखा की भविष्यवाणी के दौरान महिलाओं का उल्टा हाथ देखा जाता है, उसी तरह कुंडली देखने का तरीका भी अलग होता है, क्योंकि महिलाओं की कुंडली में अनेक भिन्नता होती है। 1. महिलाओं की कुंडली में नौंवे भाव से पिता और सातवें स्थान या भाव से पति की स्थिति के बारे में पता किया जाता है। 2. चौथे भाव से गर्भधारण क्षमता, सुख-दु:ख, समाज में मान- अपमान आदि की जानकारी निकाली जाती है। 3. चंद्र का महिलाओं के मन पर अधिक असर पड़ता है अत: विषदोषयुक्त चंद्र (शनि चंद्र की युति आदि) क्षीणबल होकर पाप पीड़ित हो तो उक्त महिला को अपमान सहना पड़ता है और यह संतान पैदा करने की क्षमता को भी बर्बाद करता है। 4. चंद्र के बाद मंगल का सबसे अधिक असर रहता है जो मासिक धर्म का कारक होता है। इसकी अशुभ स्थिति से मासिक धर्म में अनियमितता रहती है और महिला के ऑपरेशन होते हैं। 5. चंद्र, मंगल के बाद महिलाओं पर शुक्र का भी काफी असर होता है। शुक्र संयम, सुख, प्रेम संबंध, यौन रोग तथा अन्य सुखोपयोग का कारक होता है। हालांकि कुछ विद्वानों के मुताबिक, पुरुष की कुंडली में शुक्र और महिला की कुंडली में गुरु का अधिक प्रभाव होता है। जिस स्‍त्री जातक की कुंडली में गुरु शुभ भाव और शुभ प्रभाव में होता है, उसे सामाजिक मान प्रतिष्‍ठा और सांसारिक सुख आसानी से मिलते हैं। उपाय:- जिन महिलाओं का गुरु बलवान होता है, उन्हें अधिकतर किसी उपाय की जरुरत नहीं होती है। किन्तु चंद्र, मंगल और शुक्र के लिए महिलाओं को चंद्र के लिए दी पहना चाहिए, एकादशी या प्रदोश का व्रत रखना चाहिए। मंगल के लिए आंखों में काला सुरमा लगाना चाहिए । शुक्र के उपाय हेतु खुद को और घर को साफ सुथरा रखते हुए शुक्रवार का व्रत करना और दही से स्नान करना चाहिए। जानिए किस दिन की जाती है यमराज की पूजा आज चमकने वाला है इन राशिवालों का भाग्य, अच्छे हैं संकेत दीपावली पर भूलकर भी न दें ये उपहार, है बहुत ही अशुभ