अहमदाबाद: गुजरात के मोरबी शहर में मच्छु नदी पर बने पुल टूटने के बाद जांच के घेरे में आए ओरेवा ग्रुप को CFL बल्ब, दीवार घड़ी और ई-बाइक बनाने में विशेषज्ञता हासिल है, मगर अभी यह पता नहीं चला है कि उसे 100 वर्षों से भी ज्यादा पुराने पुल की मरम्मत का ठेका कैसे मिल गया? गुजरात के मोरबी शहर में मच्छु नदी पर केबल पुल हादसे में मृतकों की तादाद बढ़कर आज सोमवार (31 अक्टूबर) को 141 हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 50 साल पहले ओधावजी राघवजी पटेल द्वारा स्थापित कंपनी मशहूर अजंता और ओरपैट ब्रांड के तहत दीवार घड़ी बनाती है. ओधावजी राघवजी पटेल का 88 साल की उम्र में इस महीने की शुरुआत में देहांत हो गया था. वह 1971 में 45 वर्ष की आयु में कारोबार में हाथ आजमाने से पहले एक स्कूल में विज्ञान के शिक्षक थे. लगभग 800 करोड़ रुपए की सालाना आय वाला अजंता ग्रुप अब घरेलू और बिजली के उपकरण, बिजली के लैंप, कैलकुलेटर, चीनी मिट्टी के उत्पाद और ई-बाइक बनाता है. मच्छु नदी पर बना केबल पुल 6 माह पहले मरम्मत के लिए बंद कर दिया गया था और इसे 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष के अवसर पर वापस खोला गया था. यह झूलता पुल के नाम से मशहूर था. इस साल मार्च में ओरेवा ग्रुप को मोरबी नगर निकाय द्वारा पुल की मरम्मत और देखरेख का टेंडर दिया गया था. ऐसा आरोप है कि पुल को बगैर नगर निगम के फिटनेस सर्टिफिकेट के खोल दिया गया. हालांकि, कंपनी के प्रबंधन से अब तक इस मामले पर टिप्पणी नहीं मिल सकी है, मगर समूह के प्रवक्ता ने हादसे के फ़ौरन बाद कहा था कि पुल इसलिए टूटा, क्योकि पुल के मध्य में कई सारे लोग इसे एक तरफ से दूसरी तरफ झुलाने का प्रयास कर रहे थे. 'युवा शहीद होने को तैयार, लेकिन सरकार उन्हें पेंशन नहीं देगी..', अग्निवीर को लेकर भाजपा पर भड़कीं प्रियंका 'हमें बांटने वाली ताकतों को जवाब देना होगा..', राष्ट्रीय एकता दिवस पर बोले पीएम मोदी ब्रिज हादसे के पीड़ितों से मिलने कल मोरबी जाएंगे पीएम मोदी