'हिन्दुओं पर हमले की 3600 से अधिक घटनाएं..', भारत सरकार को 57 बुद्धिजीवियों का पत्र, हिन्दू नरसंहार को संसद में मान्यता देने की मांग

नई दिल्ली: बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़ने के बाद वहां हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भड़क उठी। इस हिंसा में कई हिंदुओं की हत्याएं हुईं और मंदिरों पर हमले हुए। बांग्लादेश-भारत सीमा पर बड़ी संख्या में पीड़ित हिंदू शरण लेने के लिए जमा हैं और भारत में प्रवेश की गुहार लगा रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ऐसी 200 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। हालांकि, अभी तक किसी भी अंतरराष्ट्रीय संगठन ने इन पीड़ितों के लिए आवाज नहीं उठाई है।

अब 57 बुद्धिजीवियों ने बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार पर चिंता जताते हुए भारत सरकार से मदद की अपील की है। उन्होंने इस हिंसा को एक नए पैटर्न के रूप में देखा है, जहां हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। पत्र में मेहरपुर में इस्कॉन मंदिर को जलाने और हिंदुओं की मॉब लिंचिंग के जश्न मनाने के वीडियो का जिक्र करते हुए इसे बेहद चिंताजनक बताया गया है। पत्र में यह भी बताया गया है कि यह हिंसा कोई नई बात नहीं है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले का एक लंबा इतिहास रहा है, जो राजनीतिक अस्थिरता के दौरान और बढ़ जाता है। उदाहरण के तौर पर पूर्वी पाकिस्तान के समय पाकिस्तानी सेना द्वारा 25 लाख हिंदुओं की हत्या का जिक्र किया गया है। 2013 से अब तक बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की 3600 से भी अधिक घटनाएं हो चुकी हैं।

 

पत्र में बांग्लादेश से हिंदुओं के पलायन के दुखद इतिहास को याद करते हुए उनकी सुरक्षा के लिए कदम उठाने की अपील की गई है। बुद्धिजीवियों ने भारतीय जनप्रतिनिधियों से इस मामले को उठाने और भारत सरकार से उच्चतम स्तर पर समाधान निकालने की अपील की है। साथ ही, भारतीय संसद से इस हिंसा को ‘हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा’ के रूप में मान्यता देने और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया गया है।

इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में लेखक विक्रम संपत, अभिनव अग्रवाल, अरुण कृष्णन, हर्ष गुप्ता मधुसूदन, स्मिता बरुआ, वैज्ञानिक आनंद रंगनाथन और इंजीनियर योगिनी देशपांडे शामिल हैं। सभी 57 बुद्धिजीवियों ने मिलकर इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई और भारत सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग करते हुए इसे भारतीय संसद में मान्यता दिलाने की मांग की है। इन बुद्धिजीवियों ने अपने पत्र में उन खबरों का रेफरेंस भी दिया है, जिसमें हिन्दुओं पर हमले की बातें हैं। हालाँकि, भारत के कुछ विपक्षी नेता और इस्लामी-वामपंथी समर्थक लगातार इन हमलों को नकार रहे हैं। 

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