नई दिल्ली : उन विचाराधीन कैदियों की पीड़ा को समझा जा सकता है , जो पिछले पांच साल से अदालत से इन्साफ पाने का इन्तजार कर रहा है , लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है. न्याय व्यवस्था की इस विसंगति पर ध्यान देते हुए सुधार के तहत चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने अहम कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट से पांच साल से अधिक लंबित मामलों की जल्द सुनवाई करने के निर्देश दिए. बता दें कि एक अख़बार से मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय विधिक सेवा के संरक्षक और प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने ऐसे कैदियों की जानकारी मांगी है जो निर्धन हैं और उन्हें जेल में बंद हुए पांच साल से ज्यादा समय हो गया है. इस बारे में प्रधान न्यायाधीश ने घोषणा की है कि ऐसे कैदियों को खास सुविधाएं दी जाएगी, इसमें निर्धन कैदियों को मुफ्त वकील और पांच साल से ज्यादा से बंद कैदियों की सुनवाई को प्राथमिकता दी जाएगी. उल्लेखनीय है कि न्यायिक जगत की यह संभवतः पहली घटना है,जिसमें किसी चीफ जस्टिस ने निर्धन विचाराधीन कैदियों की तकलीफ को महसूस किया और उन्होंने इन्साफ का इन्तजार कर रहे ऐसे लोगों के प्रति संवेदना प्रकट कर त्वरित न्याय की दिशा में कदम बढ़ाया. अदालत का यह कार्य अनुकरणीय है. इस आदेश से निश्चित ही सुप्रीम कोर्ट और है कोर्ट में लंबित मामलों की सुनवाई में गति आएगी और लोगों को न्याय मिलेगा. यह भी देखें SC की प्राथमिक सुनवाई में एलजी दिल्ली प्रमुख सुप्रीम कोर्ट ने बदले मुआवजे के मापदंड