नई दिल्ली: कोरोना पर की गई एक ताजा रिसर्च में पाया गया कि कोरोना की पहली लहर के दौरान आम धारणा के उलट अधिकतर मौतें कम उम्र के युवाओं की हुई न कि बुजुर्गों की। इसी प्रकार पुरुषों के मुकाबले महिला मरीजों की अधिक मौतें हुई हैं। कोरोना के पहले चरण पर की गई रिसर्च से पता चलता है कि सह रुग्णता वाले युवा रोगियों में मृत्यु का अधिक जोखिम था। अध्ययन 25 जून 2022 को मालिक्यूलर एंड सेल्युलर बायोकैमिस्ट्री, स्प्रिंगर नेचर में छपा है। सर गंगा राम अस्पताल के रिसर्चर्स ने 2,586 कोरोना के मरीजों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप व गुर्दे की बीमारी के संबंध का निरीक्षण करने के 8 अप्रैल 2020 से 4 अक्तूबर, 2020 (दूसरे चरण) तक अस्पताल में एडमिट मरीजों पर रिसर्च की। ताकि भर्ती मरीजों में कोरोना संक्रमण के पूर्वानुमान और मृत्यु दर का विश्लेषण किया जा सके। अस्पताल के अनुसंधान विभाग की सलाहकार और लेखक , डा रश्मि राणा के मुताबिक, रिसर्च में यह भी पाया गया कि उच्च रक्तचाप के रोगियों को छोड़कर पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मृत्यु दर अपेक्षाकृत ज्यादा थी। सह-लेखक डॉ विवेक रंजन के मुताबिक, रिसर्च से पता चला है कि अंतर्निहित सहरुग्णता वाले युवा रोगियों में कोरोना संक्रमण की गंभीरता का खतरा समान बीमारी वाले बुजुर्ग रोगियों की तुलना में बीमारी के साथ-साथ मृत्यु दर भी अपेक्षाकृत ज्यादा पाया गया था। मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ सलाहकार व सह-लेखक डा अतुल गोगिया के मुताबिक, स्टडी में घातक किडनी रोगियों में रोग बढ़ने, जटिलताओं और मृत्यु दर के बाद उच्च रक्तचाप और मधुमेह का खतरा ज्यादा था। करोड़ों से भरे 5 बोरे.., बड़ी मात्रा में सोना-चांदी, जानिए बिहार के इंस्पेक्टर के घर छापे में क्या-क्या मिला ? जम्मू कश्मीर से खूंखार आतंकी गिरफ्तार, चीनी पिस्तौल और गोलियां बरामद नूपुर शर्मा के समर्थन में सड़कों पर उतरे हज़ारों लोग..., व्यापारियों से लेकर साधू-संत तक हुए शामिल