ज्यादातर लोगों को उर्दू नहीं आती, हिंदी-अंग्रेजी में भी हो निकाहनामा- राजस्थान हाई कोर्ट

जयपुर: राजस्थान हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है जिसमें कहा गया कि निकाहनामा केवल उर्दू भाषा में नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे हिंदी या अंग्रेजी में भी जारी किया जाना चाहिए। कोर्ट का मानना है कि उर्दू समाज में व्यापक रूप से प्रचलित नहीं है और यह कागजात समाज, सरकारी कर्मचारियों और न्यायालय के अधिकारियों को समझ में आनी चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि निकाहनामा हिंदी और/या अंग्रेजी में भी जारी किया जाए, ताकि इसे सभी लोग समझ सकें।

यह आदेश न्यायमूर्ति फरजंद अली की एकल पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें इशरत बानो नाम की महिला ने अदनान अली से अपने निकाह को लेकर फर्जीवाड़े का आरोप लगाया था। महिला ने निकाहनामा, जो उर्दू में था, न्यायालय में प्रस्तुत किया, लेकिन यह कागजात न्यायालय के अधिकारियों को समझने में कठिनाई का कारण बने।

कोर्ट ने निकाह कराने वाले काजी या मौलाना पर भी निगरानी की कमी पर चिंता जताई और कहा कि प्रत्येक जिले के मजिस्ट्रेट/कलेक्टर को उन व्यक्तियों का रिकॉर्ड रखना चाहिए जो निकाह करा सकते हैं। केवल वही व्यक्ति निकाह करवा सकेंगे, जो इस कार्य के लिए पात्र हों, और उनका रिकॉर्ड एक अलग फाइल में रखा जाना चाहिए।

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