शनि, राहु और मंगल के दोष से छुटकारा दिलाता है यह मंत्र

कहा जाता है श्री भैरव से काल भी भयभीत रहता है और उनके बे से सब दुःख दूर भाग जाते हैं. आप सभी जानते ही होंगे कि उनका एक रूप 'काल भैरव' के नाम से विख्यात हैं और सभी इस नाम को जानते हैं. वहीं दुष्टों का दमन करने के कारण इन्हें 'आमर्दक' नाम से भी पुकारा जाने लगा. कहते हैं शिव जी ने भैरव को काशी के कोतवाल पद पर प्रतिष्ठित कर दिया है और जिन व्यक्तियों की जन्मकुंडली में शनि, मंगल, राहु आदि पाप ग्रह अशुभ फलदायक हों, नीचगत अथवा शत्रु क्षेत्रीय हों. वहीं शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से परेशान हों, तो वे व्यक्ति भैरव अष्टमी अथवा किसी माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से प्रारंभ कर बटुक भैरव मूल मंत्र की एक माला (108 बार) का जाप प्रतिदिन रूद्राक्ष की माला से 40 दिन तक करें, अवश्य ही शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है.

मंत्र-  'ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।' कहा जाता है जब कोई भी जातक शनि, मंगल या राहु के अशुभ प्राप्त कर रहा हो तो उसे हर दिन सही ढंग से इस मंत्र का पाठ करना चाहिए क्योंकि इससे उसे लाभ हो सकता है.

वहीं जब कोई भी जातक शनि, मंगल या राहु के अशुभ प्राप्त कर रहा हो तो उसे अवश्य पढ़ें इस मंत्र का पाठ करना लाभदायक होता है और यह एक चमत्कारी मंत्र है, जो कई परेशानियों से निजात दिलाने में कारगार साबित होता है.

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