किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता, शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता। रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये, चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ, हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें, जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है माँ। सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है, ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है। अपनी माँ को कभी न देखूँ तो चैन नहीं आता है, दिल न जाने क्यूँ माँ का नाम लेते ही बहल जाता है। किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई, मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई। ऐ अँधेरे देख मुह तेरा काला हो गया, माँ ने आँखें खोल दी, घर में उजाला हो गया। कुछ इस तरह वो मेरे गुनाहों को धो देती है, माँ बहुत गुस्से मे होती है तो रो देती है। उसके होंठो पे कभी बद्दुआ नही होती, बस एक माँ हैं जो कभी खफ़ा नही होती… हालात बुरे थे मगर अमीर बनाकर रखती थी, हम गरीब थे, ये बस हमारी माँ जानती थी… जब-जब कागज पर लिखा मैने माँ का नाम, कलम अदब से बोल उठी हो गये चारो धाम।