मौसम के गाँव... बहुत देर से सोकर जागी दिशा-वधू मौसम के गाँव अतः डरी लज्जित-सी पहुँची छूने दिवस-पिया के पाँव! आँखों वाली क्षितिज-रेख पर काला-सूरज उदित हुआ धरती का कर निज दुहिता के पाँव परस कर मुदित हुआ कम्पित शब्द-गोट ने सहसा चला एक ध्वनिवाही दाँव! बहुत देर से सोकर जागी दिशा-वधू मौसम के गाँव मौन-शीत पसरा घर-आँगन की गतिविधियाँ सिमट गईं, किरणों की दासियाँ कुहासे के अनुचा से लिपट गईं दृष्टि अराजक हुई छा गयी नभ से आपदकाली छाँव! बहुत देर से सोकर जागी दिशा-वधू मौसम के गाँव -कुमार विश्वास