फिल्म रिव्यू--'रागदेश' रेटिंग ---3/5 निर्देशक--तिग्मांशु धूलिया प्रोड्यूसर– तिग्मांशु धूलिया और गुरदीप सिंह सप्‍पल स्टार कास्ट– कुणाल कपूर, अमित साध, मोहित मारवाह, विजय वर्मा, मृदुला मुर्ली और केनिथ देसाई म्‍यूजिक–राणा मज़ूमदार आज सिनेमाघरों में बॉलीवुड के चर्चित निर्देशकों में शुमार हम बात कर रहे है तिग्मांशु धुलिया की बहुचर्चित फिल्म रागदेश के बारे में जो के सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. कहानी बात करे अगर फिल्म की कहानी के बारे में तो जनाब बता दे कि, फिल्‍म 'रागदेश' में रेड फोर्ट ट्रायल्स की कहानी दिखाई गई है. कहानी लेफटिनेंट कर्नल गुरबक्ष सिंह ढिल्लन 'अमित साध' बसंत कौर के पति, लेफटिनेंट कर्नल प्रेम कुमार सहगल 'मोहित मारवा‍ह' लाहोर हाई कोर्ट के जज अचारुनम सहगल के बेटे और मेजर जेनेरल शाह नवाज खान 'कुणाल कपूर' पर आधारित हैं. कर्नल प्रेम कुमार सहगल साल 1942 में आजाद हिंद फौज में शामिल हो जाते हैं. मेजर जेनेरल शाह नवाज खान के किरदार में दिखे हैं. यह अपने परिवार और फर्ज के बीज जूझते दिखाए गए हैं. तीनों पर इंडियन आर्मी एक्ट सेक्शन 41 के अर्तगत चार्ज लगता है. फिल्‍म की कहानी इन तीनों के कोर्ट मार्शल पर आधारित है. कहानी में भारत की आजादी में इनके योगदान और इनकी शूरवीरता दिखाई गई है. डायरेक्शन फिल्म का डायरेक्शन बहुत ही शानदार है. फिल्म के निर्देशक ने फिल्म को बहुत ही अच्छे से दर्शाया है. फिल्म में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की नीतियों और आजाद हिंद फौज की कार्य प्रणाली को दिखाने की कोशिश की गई है. “पान सिंह तोमर” और “साहब बीवी और गैंग्सटर” जैसी फिल्में बना चुके तिग्मांशु धूलिया का निर्देशन कमाल का है. स्टारकास्ट की परफॉर्मेंस फिल्म 'रागदेश' में हर किरदार ने अपना पूरा योगदान अच्‍छे से दिया है. कुणाल कपूर और अमित साध के बीच मोहित मारवाह कहीं दबे नहीं हैं. कुणाल, अमित और मोहित ने अपने अपने किरदारों की अलग पहचान बनाई है. पर्दे पर इनकी जबरदस्‍त एक्‍टिंग देख रोएं खड़े हो जाते हैं. म्यूजिक देखा जाए तो निर्देशक तिग्मांशु धुलिया की बहुचर्चित फिल्म 'रागदेश' फिल्म के सभी गाने अच्‍छे हैं. श्रेया घोषाल और राणा मज़ूमदार के गाए हए गानों के अलावा बाकी गाना भी अच्‍छा है. ‘हवाओं में’ गाने में अलग सा जोश है. देखें या नहीं अभी वैसे भी 15 अगस्त आने वाला है तथा देश प्रेम के अपने जज्बे को एक बार फिर से जीवंत करने के लिए आप आजादी से पहले के इस अनछुए इतिहास से रूबरू होने के लिए फिल्‍म देखने सिनेमाहॉल जरूर जाएं. पहलाज निहलानी बने रहेंगे सेंसर बोर्ड के 'संस्कारी अध्यक्ष' 'शौच' पर अक्षय की 'स्वच्छ सोच'