नई दिल्ली: मध्य प्रदेश उपचुनाव में हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए निर्वाचन आयोग गुरुवार को देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंच गया है। दरअसल मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन्स के तहत विधानसभा उपचुनावों में चुनाव प्रचार के लिए सीमित तादाद के साथ भौतिक राजनीतिक सभा के लिए दी गई इजाजत पर रोक लगा दी है। मध्यप्रदेश में भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति निष्ठावान कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद राज्य में उपचुनाव कराए जा रहे हैं। बता दें कि मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर पीठ ने राज्य में सियासी दलो की भौतिक रैलियों को प्रतिबंधित कर दिया है। उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने अपने आदेश में राजनीतिक दलों के भौतिक सभाएं करने पर रोक लगा दी है, जब तक कि उन्हें जिलाधिकारियों और निर्वाचन आयोग से यह प्रमाणित नहीं किया गया हो कि वर्चु्अल चुनाव अभियान संभव नहीं है। यदि भौतिक सभा करने की अनुमति मिल भी जाती है तो, राजनीतिक दल को इसके लिए धन राशि जमा कराने की जरुरत होगी। यह धन राशि "सभा में अपेक्षित लोगों की तादाद की सुरक्षा और सैनेटाइजेशन के लिए आवश्यक मास्क और सैनेटाइजर की दोगुनी खरीद करने के लिए पर्याप्त" होनी चाहिए। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि संबंधित प्रत्याशी सभाओं में मौजूद लोगों को मास्क और सैनेटाइजर के वितरण के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेवार होंगे। 'क्या हम लोकतंत्र से 'महाराजातंत्र' की तरफ जा रहे हैं'... सिंधिया पर 'दिग्गी राजा' का हमला दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया बोले- कोरोना के कारण आधा किया जाए स्कूल का सिलेबस डिबेट एक्सचेंज के दौरान ट्रम्प ने की अब्राहम लिंकन से खुद की तुलना, छिड़ी जंग