भोपाल: देश में इस समय चुनावी समर चल रहा है और आगामी 28 नवंबर को मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी चुनाव होने हैं। वहीं साल 2003 में मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने वाली उमा भारती का वनवास इस विधानसभा चुनाव में खत्म होता नजर आ रहा है। बता दें कि पिछले पंद्रह साल में उमा भारती का राजनीतिक ग्राफ घटता-बढ़ता रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विरोध के कारण वे पिछले आठ साल से मध्यप्रदेश की सक्रिय राजनीति से दूर थीं। इसके अलावा इस चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में उमा भारती जिस तरह से प्रचार कर रहीं हैं, उससे लगता है कि वे अगले लोकसभा चुनाव में अपने गृह राज्य मध्यप्रदेश की किसी सीट से चुनाव लड़ सकतीं हैं। छत्तीसगढ़ चुनाव: चुनाव प्रचार को जाते समय अचानक ख़त्म हुआ योगी के हेलीकाप्टर का ईंधन और फिर... यहां बता दें कि मध्यप्रदेश में चुनावी सियासत वर्तमान समय में ज्यादा गर्म चल रही है। जिससे पार्टी स्तर पर भी नोंकझोंक होती दिखाई दे रही है। साल 2003 में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर भारतीय जनता पार्टी पहली बार विधानसभा के चुनाव मैदान में उतरी थी और उमा भारती के चेहरे को ही आगे रखकर पार्टी ने दिग्विजय सिंह के दस साल के शासन को पलट दिया था। बता दें कि उमा भारती ने पार्टी संसदीय बोर्ड के निर्णय के बाद भी मध्यप्रदेश बीजेपी की विधायक दल की बैठक में शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध भी किया था। छत्तीसगढ़ चुनाव: पुराने मुद्दों के जरिए ही सत्ता को साधने की कोशिश में स्टार प्रचारक गौरतलब है कि उमा भारती ने पार्टी से बगावत कर भारतीय जनशक्ति पार्टी के नाम से एक नया राजनीतिक दल गठित कर लिया। वहीं साल 2008 के विधानसभा चुनाव में उमा भारती ने अपने उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में उतारे थे। उमा भारती की पार्टी के मैदान में होने का लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिला था, राज्य में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी। इसके साथ ही उमा भारती पिछले पंद्रह सालों में दो बार बीजेपी से अलग हुई हैं। लेकिन अब तक वे भाजपा में एक वरिष्ठ राजनेता के रूप में मानी जाती हैं। खबरें और भी छत्तीसगढ़ चुनाव: जोगी का राजनाथ पर पलटवार, कहा अगर मित्रता होती तो यहाँ न आते गृहमंत्री राजस्थान चुनाव: पायलट और गेहलोत का चुनाव लड़ना तय, पर सीटों पर अब भी संशय मध्यप्रदेश चुनाव: आरएसएस पर विवादित टिप्पणी कर विवादों में घिरे कमलनाथ