नई दिल्ली: रेल मंत्री ने सुरेश प्रभु ने रेलवे के विकास हेतु सांसदों से सुझाव मांगे है। सुझाव मांगने के लिये प्रभु ने बकायदा सभी सांसदों को चिठ्ठी भी भेजी है। इसमें कहा गया है कि आपके सुझाव रेलवे के दीर्घ विकास के लिये सार्थक सिद्ध होंगे। गौरतलब है कि सुरेश प्रभु संभवतः ऐसे पहले रेल मंत्री होंगे, जिन्होंने रेलवे विकास के लिये सांसदों से सुझाव मांगे है। प्राप्त जानकारी के अनुसार रेलवे मंत्री ने सांसदों को आश्वस्त किया है कि उनके सुझाव को अमली जामा पहनाने का प्रयास किया जायेगा। इसके साथ ही उन्होंने चिठ्ठी में रेलवे के अधिकारियों के न केवल नाम दिये है बल्कि पते और मोबाइल नंबर तक भी दिये है, ताकि कोई भी सांसद कभी भी किसी समस्या के लिये सीधे ही अधिकारियों से संपर्क स्थापित कर सके। जनता और जन प्रतिनिधियों से सीधे संपर्क स्थापित करने और उन्हें सरकार की योजनाओं से अवगत कराने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मूलमंत्र और किसी पर चढ़ा हो या नहीं लेकिन रेल मंत्री सुरेश प्रभु इसे जरूर अमल में ला रहे हैं। उन्होंने जिस तरह सभी सांसदों को पत्र लिखकर रेलवे के बारे में सुझाव मांगे हैं और समस्याओं के समाधान का भरोसा भी दिया है उससे उनके अलग अंदाज की स्पष्ट झलक मिलती है। इससे इस बात का संकेत भी मिलता है कि अगला रेल बजट पेश हो सकता है। रेल बजट से रेल मंत्री के सांसदों से मिलने और सुझाव लेने की परंपरा रही है। प्रभु ने सांसदों से कहा है कि वे सांसदों से व्यक्तिगत तौर पर मिलना चाहते हैं लेकिन हो सकता है किसी कारणवश ऐसा संभव न हो सके। इसलिए उन सभी रेलवे अफसरों के नाम पते फोन नंबर और ईमेल आइडी दे रहे हैं जिनसे संपर्क कर सांसद अपने राज्य या संसदीय क्षेत्र की रेलवे संबंधी समस्याओं का निदान कर सकते हैं। इस विषय में रेलवे अफसरों को पहले ही निर्देश दिए जा चुके हैं। यह चिट्ठी 30 अगस्त को लिखी गई है । प्रभु की यह चिट्ठी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अगला रेल बजट पेश होने को लेकर संदेह जताए जा रहे हैं। विवेक देबराय की सिफारिश और प्रभु के अनुरोध पर वित्त मंत्रालय अगले रेल बजट को आम बजट में शामिल करने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है। इस संबंध में रेलवे और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की पांच सदस्यीय समिति की सिफारिशें शीघ्र ही आने वाली है। इस रिपोर्ट को पिछले शुक्रवार को ही आना था लेकिन माना जाता है कि वित्त मंत्रालय के अफसरों ने और समय मांगा है।