एक वक़्त था जब क्रिकेट सिर्फ और सिर्फ आमिर घरानों के लड़को का खेल माना जाता था. कुछ हद तक सही भी था. नेशनल टीम में खास कर भारत में बड़े शहरों दिल्ली मुंबई और बंगलुरु के ही खिलाड़ी प्रमुख रूप से रहा करते थे. इसके अपने कारण थे. दिलों पर राज जमा चूका ये खेल अब मैदानों के जरिये घरो में घर कर गया और फिर शरू हुआ अनजानी जगहों से प्रतिभाओं के आने का दौर. समय समय पर कई चमत्कारी खिलाड़ी गुमनामी से निकल कर आये और क्रिकेट की दुनिया पर छाने लगे. वक़्त भी बदल गया था. मगर इस दौर की सही शुरुआत एक नाम से हुई जिसे आज हम महेंद्र सिंह धोनी के नाम से जानते है. धोनी के संघर्ष की कहानी आज देश के बच्चे बच्चे की जुबान पर है. रही सही कसर उनके जीवन पर बनी फिल्म ने पूरी कर दी. धोनी के क्रिकेट पर भी खूब चर्चाये हो चुकी है. मगर जो सबसे खास है वो है धोनी का आम इंसान बने रहना. आज भी उनका जमीन से जुड़ाव, पुराने दोस्तों से मिलना,बचपन के शौक को आज भी जीना, शांत रहना, सफलता को सर न चढ़ने देना, खेल में दस दिमाग एक साथ रख कर भी कूल बने रहना, साथियों के लिए पानी की बोतल ले जाना, नए खिलाड़ियों को भी कम्फर्ट देना और खेल के हित में हर कड़ा कदम और समझौता न करने का साहस उन्हें लोगों से अलग करता है. झारखण्ड जैसी प्रतिकूल जगहों से निकल कर खुद को तराशने वाले धोनी ने अपने बाद लोगों में ये विश्वास जगा दिया की क्रिकेट की दुनिया में अब प्रतिभा के दम पर जाया जा सकता है. उन्होंने उस मिथक को तोडा जिसमे टीम में जगह लेने के लिए मुंबई, दिल्ली जैसे शहर से होना जरुरी था. उनके बाद इस तरह के कई उदाहरण आज टीम में है जो बहुत छोटे शहरों की गलियों से निकल कर आज टीम इंडिया की जर्सी पहन चुके है. खेल से बड़ा खिलाड़ी कभी नहीं होता. मगर कुछ खिलाड़ियों का चरित्र इतना ऊंचा होता है कि वे मिसाल बन जाया करते है और खेल खुद उन पर गर्व करने लगता है. आज क्रिकेट जगत सिर्फ धोनी के खेल का नहीं बल्कि उनके अंदर छुपे साधारण से महान इंसान का कायल है. शख्श के शख्सियत बनने की जिन्दा मिसाल में धोनी के नाम का शामिल किया जाना अतिश्योक्ति नहीं होगी. धोनी कोहली ने दिया फिटनेस टेस्ट धोनी ने कहा,मैं निचले क्रम पर उतरता तो...