पटना। पटना उच्च न्यायालय ने बालू का खनन करने को लेकर, राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई नियमावली पर रोक लगा दी है। नियमावली में जीपीएसयुक्त वाहनों की ढुलाई का मसला भी शामिल किया गया है। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व न्यायाधीश डाॅ. अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने, इस नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। न्यायालय ने कहा कि, जनता की परेशानी का आंकलन नहीं किया जा सकता है और, सरकार ने नई नियमावली लागू कर दी है। इस मामले में पुष्पा सिंह द्वारा याचिका दायर की गई थी। जिस पर न्यायालय ने अपना निर्णय दिया। न्यायालय ने जो आदेश दिया है, उससे ट्रांसपोर्टर्स को राहत मिली है। दूसरी ओर याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय को कहा कि, राज्य सरकार द्वारा बालू, मिट्टी के अवैध खनन पर रोक लगाने के उद्देश्य से वर्ष 2017 में नियमावली तैयार की गई। गौरतलब है कि, राज्य सरकार ने 1 दिसंबर से नई नियमावली को प्रभावी करने को लेकर निर्देश जारी कर दिया है। इस हेतु उच्च न्यायालय ने उस पर रोक लगा दी है। मिली जानकारी के अनुसार, बालू पत्थर का उत्खनन करने वाले इसका सीधा विक्रय नहीं कर पाऐंगे। निगम द्वारा उत्खनित बालू, पत्थर, स्टोन चिप्स का खुदरा विक्रय ऐसे लोगों द्वारा किया जाएगा, जिसे राज्य सरकार ने लाइसेंस जारी किया है। दरअसल उत्खनित बालू, पत्थर या फिर स्टोन चिप्स की ढुलाई करने वाले वाहनों में जीपीएस को अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में सरकार द्वारा तैयार की गई नियमावली पर रोक लगा दी है। भाषण को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय रिहा हुआ आतंकी सरगना राजस्थान हाईकोर्ट में हुई सीआरपीसी कानून पर सुनवाई फारूक अब्दुल्ला की टिप्पणी पर न्यायालय में दायर की याचिका