श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में फिदायीन हमले में CRPF के 44 जवानों की शहादत पर पूरा देश आक्रोशित है। देश भर में लोग अपने-अपने हिसाब से क्रोध व्यक्त कर रहे हैं। वहीं भारत सरकार इस आतंकी हमले का जवाब देने की तैयारी कर रही है। ऐसे में इस बात का भी जांच की जा रही है कि, आखिर कहां और कौन सी चूक हमसे हो गई, जिसके चलते आतंकी इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने में कामयाब हो गए। बेहद रोमांचक होगा राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप का फाइनल मुकाबला इन्हीं सारी बातों के मध्य घाटी के पूर्व सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकार में लिए गए एक फैसले की तरफ सेना के विशेषज्ञ संकेत कर रहे हैं। दरअसल, वर्ष 2002 तक भारतीय सेना के काफिले को जम्मू-कश्मीर में विशेष सुरक्षा दी जाती थी। इसके तहत जब कभी भी भारतीय सुरक्षा बलों का कफिला जम्मू-कश्मीर के किसी क्षेत्र से गुजरता था, तो वो सड़क खाली करा दी जाती थीं और आम आदमी को वहां एंट्री की अनुमति नहीं होती थी। सिंधु ने जीत के साथ किया सीनियर राष्‍ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिता का आगाज सुरक्षा बलों के काफिले के बीच कोई और वाहन ना आ जाए इसे रोकने के लिए सड़क के किनारे भी जवान तैनात किए जाते थे। वर्ष 2002-03 में तत्कालीन सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद ने यह कहते हुए इस नियम को हटा दिया कि इससे आम जनता को परेशानी उठानी पड़ती है। सईद का कहना था कि सुरक्षाबल भी मुल्क की आम जनता की तरह ही हैं, ऐसे में उनके काफिले को अलग सुविधा देने की कोई आवश्यकता नहीं है। खबरें और भी:- आरबीआई ने चार गवर्नमेंट बैंकों पर ठोंका पांच करोड़ का जुर्माना अजमेर में आयोजित सेवादल की बैठक में राहुल ने साधा पीएम मोदी पर निशाना 260 पदों पर नौकरी, 12वीं पास को 2 लाख रु वेतन