मुजफ्फरपुर। कुछ दिनों पहले बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में 21 बच्चियों के साथ रेप की शर्मनाक घटना सामने आई थी। यह पूरा मामला तब सामने आया था, जब टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में इस मामले का खुलासा किया था। इसके बाद ही पुलिस ने इस शेल्टर हाउस पर छापा मारा था लेकिन हाल ही में इस मामले में एक नया पहलू सामने आया है। दरअसल बाल अधिकार संरक्षण आयोग की एक टीम ने कहा है कि उन्होंने टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस की इस ऑडिट रिपोर्ट के तीन महीने पहले ही इस शेल्टर हाउस की संदेहजनक कार्यप्रणाली को उजागर किया था। इस टीम में बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन डॉ. हरपाल कौर के साथ-साथ पंकज सिन्हा और विजय कुमार भी शामिल थे। हरपाल कौर ने एएनआई न्यूज़ एजेंसी को बताया कि उनकी टीम ने पिछले साल ही 22 नवंबर 2017 को ही इस बालिका गृह का मुआएना किया था। इस दौरान उन्हें पता चला था कि इस बालिका गृह में लड़कियों को बहोत ही कठोर हालातों में रखा गया था। डॉ. एच् कौर के मुताबिक यहाँ पर 51 लड़कियों को एक छोटे से कमरे में बिना किसी शैक्षणिक या चिकित्सक सुविधाओं के बिना रखा गया था। इसके अलावा 17 लड़कियों को एक कमरे में कैद कर के भी रखा गया था। और जब उन्होंने बालिका गृह के संचालको से इसकी वजह पूछी तो उन्हें बताया गया कि ये लड़कियाँ यहाँ से भागने की कोशिश कर चुकी है। इसलिए इन्हे बंद कमरे में रखा गया है। — ANI (@ANI) August 3, 2018 डॉ. एच् कौर ने ये भी बताया कि जब उनकी टीम बालिका गृह पहुंची तो उन्हें सभी लड़कियाँ डरी और सहमी हुई मिली थी। उनका कहना है कि उन्होंने सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट को एक रिपोर्ट पेश कर के इस बालिका गृह को खली करवाने की सलाह भी दी थी लेकिन उस वक्त किसी ने भी उन्हें गंभीरता से नहीं लिया था। खबरें और भी मुजफ्फरपुर और छपरा दुष्कर्म पर नीतीश का बड़ा बयान मुजफ्फरपुर रेप केस : सुप्रीम कोर्ट की मीडिया को फटकार, केंद्र और राज्य सरकार को थमाया नोटिस