क्या भारत के लिए घातक है, बिरला-अम्बानी का यह कदम ?

नई दिल्ली: विश्व भर में ई-कॉमर्स स्टोर्स का मार्किट खूब फल फूल रहा है, कई देशों में अपना बिसनेस जमा चुके उद्योगपति अब भारत के मार्किट पर नज़र गड़ाए बैठे हैं, लेकिन भारत की सरकार अपने उद्योगपतियों को बढ़ावा देना चाहती है. ऐसे में अब विदेशी कंपनियों और भारतीय कंपनियों के बीच भागीदारी करके भारतीय मार्किट पर राज करेगी. मतलब अब आपके रेफ्रीजिरेटर में जो सामान रखा मिलेगा उसमे विदेशी पूंजी लगी हुई होगी, इसकी शुरआत भी हो चुकी है.

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दरसअल, हर परिवार को सब्जी, दूध , फल आदि मूलभूत वस्तुओं की जरूरत तो पड़ती ही है, ऐसे में इसे जनसामान्य को उपलब्ध करने के लिए जगह-जगह स्टोर्स खोलने होंगे, लेकीन भारतीय कानून विदेशी कंपनियों को भारत में स्टोर्स खोलने के लिए सीमित अधिकार देता है, ऐसे में अमेज़न के संस्थापक जेफ बेजॉस ने बिड़ला ग्रुप की तरफ भागीदारी का हाथ बढ़ाया है. बताया जा रहा है कि अमेज़न, आदित्य बिड़ला ग्रुप की फूड और ग्रॉसरी सुपरमार्केट चेन मोर को 5000 करोड़ में खरीद सकता है.

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इसके अलावा भारत का पड़ोसी देश, चीन भी भारत के ई-कॉमर्स मार्किट पर पकड़ जमाना चाहता है, चीन की कंपनी अलीबाबा के जैक मा भी भारतीय उद्योगपति मुकेश अम्बानी से बात का रहे हैं. उल्लेखनीय है कि भारत में अम्बानी की रिलायंस स्टोर्स काफी प्रचलित है, बताया जा रहा है कि जैक मा 5 से 6 अरब डॉलर में रिलायंस की आधी भागीदारी खरीद सकता है. अलीबाबा पहले से ही भारतीय कंपनी पेटीएम और बिगबास्केट में हिस्सेदारी ले चुका है. आने वाले समय में ये हो सकता है कि आप बिग बाज़ार से जो आलू खरीदें, उसमे अमेज़न या अलीबाबा के पूंजी लगी हुई हो. जानकारों का कहना है कि इन भागीदारियों के बाद भारत के उद्योगपति तो और रईस हो जाएंगे, लेकिन रूपये की कीमत गिरने के कारण देश की आर्थिक स्थिति कमज़ोर होती जाएगी. 

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