नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के विधायक अब्बास अंसारी को शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और पंकज मिथल की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 9 मई के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें अब्बास अंसारी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया था। अदालत ने निचली अदालत द्वारा लगाई गई शर्तों पर अब्बास अंसारी को जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया और स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट ऐसी शर्तें तय करेगा, जिससे आरोपी गवाहों को प्रभावित न कर सके या सबूतों से छेड़छाड़ न हो। सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में इस मामले में नोटिस जारी किया था और ईडी से अब्बास अंसारी की याचिका पर जवाब मांगा था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में उनकी जमानत याचिका को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट को जल्द से जल्द मुकदमे की सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने कहा था कि पीएमएलए की धारा 45 के तहत इस स्तर पर यह संतोषजनक नहीं है कि अब्बास अंसारी दोषी नहीं हैं या जमानत पर कोई अपराध नहीं करेंगे। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच तीन अलग-अलग एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। पहली एफआईआर में एक निर्माण कंपनी के साझेदारों पर सार्वजनिक संपत्ति पर कब्जा करने का आरोप है। दूसरी एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि मुख्तार अंसारी ने विधायक निधि से स्कूल बनवाने के लिए पैसे लिए थे, लेकिन स्कूल नहीं बना और उस जमीन का इस्तेमाल कृषि कार्यों के लिए किया गया। तीसरी एफआईआर में आरोप था कि अंसारी ने अपने प्रभाव का उपयोग करके सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण किया था। अब्बास अंसारी की जमानत पर अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ द्वारा गैरकानूनी हिरासत और गैंगस्टर्स एक्ट से संबंधित उनकी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद लिया जाएगा। आरोप लगाओ-छुट्टी पाओ..! AAP सरकार बोली- यूपी की डीजल बसों के कारण दिल्ली में प्रदूषण 'बाल विवाह कानून के आड़े नहीं आ सकता कोई पर्सनल लॉ..', सुप्रीम कोर्ट का फैसला 'केजेहल्ली और डीजेहल्ली दंगों के केस भी वापस लो..', कांग्रेस सरकार से बोले रोशन बेग