लखनऊ : राजनीतिक हलकों के लिए यह खबर चौंकाने वाली है कि मुलायम सिंह ने राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की है. मुलायम सिंह यादव ने अब राष्ट्रपति चुनाव के बहाने सपा मुखिया और अपने बेटे अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोल समाजवादी रार को और बढ़ा दिया है. गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए उम्मीदवार के समर्थन का ऐलान कर मुलायम सिंह यादव ने कहा कि योग्य उम्मीदवार को समर्थन करने में कोई ऐतराज नहीं है. संख्याबल एनडीए के साथ है तो भाजपा समर्थित व्यक्ति ही राष्ट्रपति बनना चाहिए, लेकिन मुलायम ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि घोर हिंदूवादी और भगवाधारी को एनडीए ने उम्मीदवार बनाया तो समर्थन देना मुश्किल होगा. उनका इशारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत की ओर था जिनका नाम बतौर एनडीए उम्मीदवार उछल रहा है. मुलायम ने कहा कि देश के सबसे बड़े पद पर ऐसे व्यक्ति को बैठाना देश की गंगा-जमुनी सभ्यता के अनुकूल नहीं होगा. बता दें कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह और सूचना-प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू से राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने के संबंध में बातचीत के बाद मुलायम ने अखिलेश की आलोचना करते हुए कहा कि खून-पसीना बहाकर यूपी में बड़ी पार्टी बनी सपा को अखिलेश ने कुछ चापलूसों के चक्कर में पार्टी का बेडागर्क कर दिया. मुलायम ने कहा कि कांग्रेस की संगत बुरी है, इसलिए अखिलेश को कांग्रेस से दूर रहने को कहा था, लेकिन नहीं माने. नतीजा सपा को पचास से कम विधायक मिले. उधर, अखिलेश ने अपने पिता के बयान पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है. वहीं मुलायम सिंह के समर्थन देने के ऐलान से भाजपा खुश है .पार्टी को उम्मीद है कि समाजवादी पार्टी के सांसदों के साथ-साथ यूपी के 47 सपा विधायकों में से अधिकांश का समर्थन मिल जाएगा. यह भी देखें शिवपाल 6 जुलाई को रखेंगे समाजवादी सेक्युलर मोर्चे की आधारशिला जल्द नजर आ सकती है अखिलेश - मायावती की राजनीतिक जुगलबंदी