मुंबई: मुंबई में एक सेशन कोर्ट ने पार्थ दासगुप्ता की जमानत याचिका को ख़ारिज कर दिया है। आप सभी जानते ही होंगे यह जमानत याचिका कथित फर्जी टीआरपी मामले में रेटिंग एजेंसी बार्क के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पार्थ दासगुप्ता द्वारा दर्ज की गई थी। आप सभी को हम यह भी बता दें कि मुंबई क्राइम ब्रांच ने पार्थ दासगुप्ता को बीते महीने पुणे जिले से गिरफ्तार किया था। वैसे इससे पहले एक मजिस्ट्रेट अदालत ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि 'उन्होंने इस घोटाले में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।' वहीं सत्र न्यायालय में दासगुप्ता की जमानत याचिका का विरोध करते हुए स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर शिशिर हिरे ने कहा, 'मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है लेकिन अभी भी कई चीजें हैं जिनकी जांच की जरूरत है।' केवल यही नहीं बल्कि उन्होंने यह भी दलील दी कि, 'दासगुप्ता एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं और पूरी व्यवस्था पर नियंत्रण रखते हैं, इसलिए उनकी रिहाई से अभियोजन पक्ष के वे गवाह प्रभावित हो सकते हैं जो उनके तहत काम करते हैं।' आप सभी को बता दें कि उन्होंने दासगुप्ता और रिपब्लिक टीवी के अर्णब गोस्वामी के बीच कथित व्हाट्सएप बातचीत की ओर भी अदालत का ध्यान आकर्षित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘हमने अदालत को टीआरपी के बारे में वॉट्सऐप पर हुई बातचीत दिखाई है जिसमें दासगुप्ता ने कुछ अन्य चैनलों को नीचे लाने और अर्नब के चैनल को ऊंचे स्थान पर लाने का वादा किया था।’ फिलहाल पुलिस ने यह दावा किया है कि गोस्वामी ने दासगुप्ता को लाखों रुपये दिए थे। वैसे इस पूरे मामले में रिपब्लिक टीवी और अन्य आरोपियों ने कुछ भी गलत करने और टीआरपी व्यवस्था में हेराफेरी करने से इनकार किया है। असम विधानसभा चुनाव 2021: एजीपी अध्यक्ष अतुल बोरा ने की कांग्रेस की खिंचाई, कह डाली ये बात शादी के बंधन में बंधी ऐश्वर्या की हमशक्ल मानसी नाईक धाकड़ से सामने आया दिव्या दत्ता का लुक, देखकर लग सकता है झटका