बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीते शुक्रवार को बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत की याचिका पर सुनवाई कर दी है। इस सुनवाई से बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को बड़ा झटका लगा है। ऐसे में अब इस मामले में मुंबई की महापौर किशोरी पेडनेकर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने हाल ही में कहा कि, 'शिवसेना शासित बीएमसी कंगना रणौत के बंगले में तोड़फोड़ के मामले में अगला कोई कदम तय करने से पहले उच्च न्यायालय के फैसले का अध्ययन करेगी।' #WATCH: Everyone is surprised that an actress who lives in Himachal, comes here & calls our Mumbai PoK... such 'do takke ke log' want to make Courts arena for political rivalry, it's wrong: Mumbai Mayor Kishori Pednekar on Bombay HC setting aside BMC notices to Kangana Ranaut https://t.co/DZi7GVeFI2 pic.twitter.com/UPlLvygIxI — ANI (@ANI) November 27, 2020 केवल यही नहीं बल्कि उन्होंने इस दौरान कंगना के लिए आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग भी किया है। उन्होंने कहा, 'हम लोग भी हैरान हुए हैं। एक अभिनेत्री जो रहती हिमाचल में है और हमारी मुंबई को पीओके कहती हैं। जो दो टके के लोग अदालत को भी राजनीति का अखाड़ा बनाना चाहते हैं वो गलत हैं। क्योंकि ये मामला बदले का नहीं है। उन्हें सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल किया गया। कोर्ट ने जो फैसला किया है उसका अध्ययन करेंगे।' इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, 'मुम्बई नगर निगम अधिनियम की धारा 354 ए के संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा अतीत में दिये गये आदेशों को भी देखा जाएगा। धारा 354 ए नगर निकाय एवं उसके अधिकारियों को कोई भी अवैध निर्माण रोकने का अधिकार प्रदान करती है।' आगे उन्होंने यह भी कहा कि, 'अभिनेत्री को एमएमए अधिनियम के तहत 354 ए नोटिस जारी किया गया और उचित प्रक्रिया का पालन किया गया। 354 ए नोटिस न केवल अभिनेत्री को बल्कि कई अन्य को भी जारी किया गया। कई लोगों ने उसे अदालत में चुनौती दी थी। हमें फैसले की प्रति अब तक नहीं मिली है, लेकिन मैं इस मुद्दे पर कानूनी विभाग एवं निगम आयुक्त से बात करूंगी तथा अदालती आदेश का आकलन करूंगी।' वैसे आपको याद हो तो बीते कल जब फैसला सुनाया गया तो कंगना ने भी एक पोस्ट किया था और खुद को हीरो बताया था। अहमदाबाद पहुंचे पीएम मोदी, कोरोना वैक्सीन को लेकर कर सकते हैं बड़ा ऐलान शौहर मुफ्ती अनस सईद संग कार में एन्जॉय करते नजर आईं सना खान अर्नब गोस्वामी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला साबित नहीं होता - सुप्रीम कोर्ट