उज्जैन। लक्ष्मीनगर महावीर मंदिर में मंगलवार को मुनि समतासागर महाराज का केश लोचन हुआ। महाराजश्री ने स्वयं अपने हाथों से सिर और दाढ़ी के बाल खींचकर केश लोचन किया। यह दृश्य देखकर समाजजनों की आंखें नम हो गई। जैन संतों द्वारा हर तीन माह से 6 माह उपरांत केशलोचन किया जाता है। इसके पीछे उनका उद्देश्य बाल से या दाढ़ी से कोई जीव उत्पन्न न हो जाये और उनकी हमसे कोई क्षति न हो रहता है। दिगंबर संत केशलोचन के दिन निर्जला उपवास रखते हैं। संपूर्ण समाज के समक्ष केशलोचन उपरांत समतासागर महाराज ने प्रवचन दिये। जिसमें पंचकल्याणक का महत्व बताते हुए कहा कि भगवान के जहां जन्म होते हैं वहां से कोषों दूर तक की भूमियों पर रत्नों की वर्षा होती है। सुगंधित माहौल होता है, वर्षा, फसल समय पर होती है। वहां लोग संपन्न तथा धार्मिक होते हैं। इसीलिए हम पंचकल्याणक मनाते हैं, पंचकल्याणक मनाने से प्रत्येक व्यक्ति को धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ धर्म की गाथाओं और धर्म का पता चलता है एवं धर्म करने को भी मिलता है। राजवंश, पुरू वंश और यदुवंश देवनगरी बनारस