नई दिल्ली : देश के जाने-माने इतिहासकार और जामिया के पूर्व वाइस-चांसलर पद्मश्री मुशीरुल हसन ने आज 71 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. बता दें कि उन्होंने सोमवार (10 दिसंबर) की सुबह अंतिम सांस ली. प्रोफेसर हसन आधुनिक भारत के अग्रणी अध्येताओं में शुमार थे. वे भारत-पाकिस्तान बंटवारे और साउथ-एशिया में इस्लाम के इतिहास पर उल्लेखनीय काम के लिए जाने जाते थे. बता दें कि 15 अगस्त 1949 को जन्मे मुशीरुल हसन को पद्मश्री समेत कई पुरष्कारों से नवाजा गया था. जानकारी के मुताबिक़, आज शाम उनका अंतिम संस्कार जामिया कब्रिस्तान में किया जाएगा. उनके निधन पर कई लोगों ने शोक व्यक्त किया. उनके निधन पर सीपीआई(एम) मुखिया सीताराम येचुरी ने कहा, 'एक इतिहासकार, एक अध्यापक, एक वाइस चॉन्सलर, एक ऑर्किविस्ट मुशीरुल हसन में संस्कृति और स्कॉलरशिप के सभी गुण विद्यमान थे. उन्होंने आगे उन्हें याद करते हुए कहा कि उनके काम और उनकी किताबें हमे रास्ता दिखाती रहेंगी. बता दें कि हसन के पिता मुहिब्बल हसन भी एक प्रसिद्ध इतिहासकार थे. पद्मश्री मुशीरुल हसन की शिक्षा पर नजर डालें तो उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से इतिहास में एमए करने के बाद ब्रिटेन की मशहूर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पीएचडी की थी. सुपरस्टार आमिर खान के गार्डन में मिला सड़ा-गला शव, फंस सकते हैं बड़ी मुसीबत में ? भाजपा की इस दिग्गज मंत्री को क्यों चाहिए राहुल गांधी का साथ, जानकर चौंक उठेंगे आप ? शोक में डूबे पीएम मोदी, सबसे करीबी ने दुनिया को कहा अलविदा अगर आप भी कर रहे हैं 2019 में शादी तो जरूर पढ़े यह खबर