कोलंबो: श्रीलंका ने कोरोना वायरस के संक्रमण से होने वाली मौतों के बाद शवों को दफनाने की बजाय उनका दाह-संस्कार अनिवार्य कर दिया है. श्रीलंकाई सरकार के इस फैसले का वहां के मुस्लिम समुदाय समेत कई मानवाधिकार संगठन विरोध कर रहे हैं. मुसलमानों का कहना है कि लाशों को जलाना उनकी इस्लामिक परंपरा के विरुद्ध है. यहां अभी तक कोरोना वायरस से कई लोगों की जान गई है, जिनमें तीन मुसलमान हैं. श्रीलंका की स्थानीय मीडिया के मुताबिक, मृतकों के परिजनों के विरोध के बावजूद इन तीनों के शवों का अधिकारियों ने दाह-संस्कार कर दिया. समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, श्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि देश में कोरोना के संक्रमण से होने वाली मौतों या कोरोना संदिग्धों की मौत का दाह संस्कार किया जाएगा. कई मानवाधिकार संगठनों ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना की है. एमनेस्टी के साउथ एशिया के निदेशक बिराज पटनाइक ने कहा कि इन कठिन हालातों में समुदायों को बांटने की जगह साथ लाने का प्रयास होना चाहिए. आपको बात दें कि WHO ने कहा है कि कोरोना संक्रमण से मरने वालों को दफनाया या जलाया जा सकता है. कोरोना वायरस के संक्रमण से दुनिया के लगभग सभी देश जूझ रहे हैं. WHO का कहना है कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने का सबसे असरदार तरीका है कि लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. कोरोना वायरस का संक्रमण लोगों में ना फैले इसलिए लाशों का दाह-संस्कार किया जा रहा है. लॉकडाउन में आसानी से शादी करा पाएगा यह देश, जानें कैसे क्या पाकिस्तान में भी बढ़ाया जाएगा लॉकडाउन ? आज हो सकता है फैसला क्या BCG वैक्सीन रोक सकती है कोरोना का असर ? जानिए क्या कहता है WHO