मुस्लिम देश, इस्लामी सरकार, फिर क्यों कत्लेआम मचा रहे मुसलमान? सीरिया में गृहयुद्ध

दमिश्क: सीरिया, जो एक सुन्नी मुस्लिम बहुल देश है और जहां पहले से ही इस्लामी सरकार का शासन है, इन दिनों इस्लामी आतंकवाद के नए स्तर का सामना कर रहा है। सुन्नी आतंकी संगठन हयात तहरीर अल शाम (HTS) और उसके सहयोगी गुटों ने हाल ही में दक्षिणी शहर दारा पर कब्जा कर लिया है। यह वही दारा है, जहां से 2011 में राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ था।  

इस्लामी शासन के बावजूद आतंकी संगठन सीरिया में और अधिक कट्टर इस्लाम लागू करने के लिए हिंसा का सहारा ले रहे हैं। HTS और अन्य विद्रोही गुट, जो पहले से ही उत्तरी शहर अलेप्पो और हमा पर कब्जा कर चुके हैं, अब राजधानी दमिश्क की ओर बढ़ रहे हैं। दारा और दमिश्क के बीच की दूरी केवल 90 किलोमीटर है, जिससे राजधानी अब दो दिशाओं से घिर गई है।  27 नवंबर को सेना और विद्रोही गुटों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था। इसके बाद विद्रोहियों ने 1 दिसंबर को अलेप्पो पर कब्जा कर लिया और चार दिन बाद हमा पर। अब दारा के कब्जे ने सेना की स्थिति और कमजोर कर दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सेना ने विद्रोहियों को दमिश्क तक सुरक्षित रास्ता देने के लिए समझौता कर लिया है।  

सीरिया में लंबे समय से असद सरकार का समर्थन कर रहे ईरान ने अब अपने लोगों को वापस बुलाना शुरू कर दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान ने अपने सैन्य कमांडरों, रिवोल्यूशनरी गार्ड से जुड़े अधिकारियों और राजनयिक कर्मचारियों को सीरिया से निकालने का काम तेज कर दिया है। ईरानी संसद के सदस्य अहमद नादेरी ने इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर दमिश्क गिरा तो ईरान, इराक और लेबनान में ईरान का प्रभाव भी खत्म हो जाएगा। वहीं, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने पहले दमिश्क की सुरक्षा का वचन दिया था, लेकिन बाद में बगदाद में उन्होंने असहायता जाहिर करते हुए कहा कि भविष्य का अंदाजा लगाना मुश्किल है।  

सीरिया की मौजूदा स्थिति यह दिखाती है कि कैसे एक इस्लामी देश में भी आतंकी संगठन और कट्टरपंथी विचारधारा और अधिक कट्टर इस्लामी शासन लागू करने के लिए जनता और सरकार को निशाना बनाते हैं। अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे इस्लामी देशों में भी ऐसे उदाहरण देखने को मिले हैं, जहां इस्लामी शासन होने के बावजूद अधिक कट्टर इस्लाम लागू करने के लिए आतंकी गुट हिंसा फैलाते हैं।  

यह विचारधाराओं का संघर्ष नहीं, बल्कि जनता की तकलीफों को बढ़ाने वाला एक ऐसा संकट है, जिसका खामियाजा मासूम नागरिक भुगतते हैं। सीरिया में जहां सेना और आतंकी गुटों के बीच संघर्ष जारी है, वहीं जनता अपने ही देश में शांति और स्थिरता के लिए तरस रही है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने सीरिया में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों के लिए सुरक्षा निर्देश जारी किए हैं। वहीं, अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। सीरिया की स्थिति यह साबित करती है कि इस्लामी कट्टरपंथ और आतंकवाद किसी भी सरकार के लिए विनाशकारी हो सकता है। यह समस्या केवल सीरिया तक सीमित नहीं है, बल्कि हर उस देश के लिए चेतावनी है, जहां मजहबी विचारधारा के नाम पर हथियार उठाए जाते हैं।

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