नई दिल्ली: अयोध्या राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद के हल होने के बाद अब सर्वोच्च न्यायालय में काशी-मथुरा विवाद को लेकर भी याचिकाओं का सिलसिला शुरू हो गया है. हिंदू पक्ष की याचिका के बाद अब मुस्लिम पक्ष भी शीर्ष अदालत पहुंच गया है. मुस्लिम संस्था जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल करके हिंदू पु्जारियों की याचिका का विरोध किया है. जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की तरफ से दायर की गई अर्जी में कहा गया है कि हिंदू पुजारियों की याचिका पर नोटिस जारी नाकिया जाए. मामले में नोटिस जारी करने से मुस्लिम समुदाय के लोगों के मन में अपने पूजा स्थलों के बारे में डर उत्पन्न होगा. याचिका में अयोध्या विवाद का संदर्भ देते हुए कहा गया है कि इसके अंत के बाद इस तरह की याचिका मुस्लिमों के जेहन में डर पैदा करेगी. जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने कहा है उसे मामले में पक्षकार बनाया जाए क्योंकि ये मामला राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को तबाह कर देगा. वहीं शीर्ष अदालत में हिन्दू पुजारियों के संगठन विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ ने याचिका दायर करते हुए पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 (Place of Worship Special Provisions Act 1991) को चैलेंज किया है. याचिका में काशी-मथुरा विवाद को लेकर कानूनी कार्रवाई को फिर से आरंभ करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि इस एक्ट को कभी चुनौती नहीं दी गई और ना ही किसी अदालत ने न्यायिक तरीके से इस एक्ट पर विचार किया है. 15 जून से कान्हा नेशनल पार्क में शुरू होगी टाइगर सफारी, करना होगा इन नियमों का पालन EPF : इस तरीके से आसानी से सुधार सकते है अकाउंट की गलतीयां नकदी की परेशानी से बचा सकता है यह उपाय