तीन तलाक़ के बाद अब मुस्लिम महिलाओं ने की ये मांग, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को लिखा पत्र

नई दिल्ली: तीन तलाक़ बिल की कामयाबी के बाद मुंबई स्थित मुस्लिम महिलाओं के एक समूह ने हिन्दू और ईसाई कानूनों की तरह मुस्लिम महिलाओं के लिए समानता सुनिश्चित करने की मांग उठाई है. ग्रुप ने केंद्र सरकार से संसद में ‘मुस्लिम फैमिली लॉ’ लाने की मांग की है. भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (BMMA) ने केंद्रीय क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद को इस बात को लेकर एक पत्र लिखा है.

ग्रुप का कहना है कि लैंगिक न्याय और लैंगिक समानता के लिए मुस्लिम फैमिली लॉ होना आवश्यक है. BMMA की दलील है कि मुस्लिम फैमिली लॉ के माध्यम से मुस्लिम महिलाओं के लिए क़ानूनी न्याय सुनिश्चित किया जाए. ठीक उसी तरह, जिस तरह से हिन्दू और ईसाई महिलाओं के लिए संसद में पारित हिन्दू मैरिज एक्ट और अन्य क़ानूनों के माध्यम से किया गया है.

BMMA की संस्थापक ज़किया सोमन ने कहा कि, “हिन्दू मैरिज एक्ट और ईसाई मैरिज एक्ट दोनों ही संसद की तरफ से पारित किए गए और संशोधित किए गए. ये केवल मुस्लिम फैमिली लॉ ही है जो संसद में नहीं पहुंचा है. हमारे पास जो है वो ब्रिटिश हुकूमत की तरफ से 1937 में पारित किया गया एक कानून है. हिंदू और ईसाई महिलाओं के जैसे मुस्लिम महिलाओं को कानूनी बराबरी प्राप्त नहीं है. कुरान पर महिलाओं को मेहर, संपत्ति और तलाक के अधिकार दिए जाते हैं, किन्तु इन अधिकारों के संरक्षण के लिए कोई कानूनी ढांचा हमें प्राप्त नहीं है.”

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