लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के एक दिन बाद बुधवार (5 जून) को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दर्जनों मुस्लिम महिलाएं 'कांग्रेस गारंटी कार्ड' भरकर पार्टी कार्यालय जा पहुंची। दरअसल, इस चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 'गारंटी कार्ड' जारी कर प्रत्येक गरीब परिवार की महिला मुखिया को सलाना 1 लाख रुपये देने का ऐलान किया है।‌ 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम अप्रत्याशित आए हैं, क्योंकि विपक्षी INDIA गठबंधन ने एग्जिट पोल के अनुमानों से बेहतर प्रदर्शन किया, जिससे भाजपा 300 का आंकड़ा पार करने से चूक गई। हालांकि, कांग्रेस भी सरकार बनाने के लिए बहुमत हासिल नहीं कर सकी है। जितनी सीटें भाजपा (240) की अकेले दम पर आई हैं, उतनी पूरी INDIA गठबंधन (234) को मिलकर भी नहीं है। जिसमे कांग्रेस की 99 सीटें शामिल हैं। भाजपा नीत गठबंधन ने बहुमत का आंकड़ा आसानी से पार कर लिया है, उसे 293 सीटें मिली हैं। लेकिन नतीजे आने के अगले दिन बुधवार को उत्तर प्रदेश कांग्रेस दफ्तर के बाहर बड़ी तादाद में मुस्लिम समुदाय की महिलाएं 'गारंटी कार्ड' लेकर पहुंच गईं। इस दौरान कई महिलाओं ने कांग्रेस का गारंटी कार्ड भी जमा किया, जो उन्हें पहले ही उन्हें प्राप्त हो चुका था। कुछ महिलाओं का कहना है कि उन्हें गारंटी कार्ड भरकर जमा करने के बाद कांग्रेस कार्यालय से रसीद भी मिली है। दरअसल, मुस्लिम समुदाय ने एकमुश्त INDIA गठबंधन को वोट दिया है, यहाँ तक की प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जिनके घर बने, रसोई गैस मिली, उन मुसलमानों ने भी INDIA गठबंधन के प्रति समर्थन दिखाया है। और अब मुस्लिम महिलाएं एक लाख रुपए मांगने पहुँच गईं हैं। सुधांशु त्रिवेदी ने भी इसका वीडियो शेयर किया है। महिलाओं ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने पैसे देने का वादा किया था और अब INDIA गठबंधन ने बेहतर प्रदर्शन किया है, "इसलिए हम गारंटी कार्ड जमा करने आए हैं"। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में गरीब महिलाओं को सालाना 1 लाख रुपये देने का वादा किया है। वायरल वीडियो में बड़ी तादाद में मुस्लिम महिलाओं को लखनऊ में कांग्रेस दफ्तर के बाहर भीषण गर्मी में कतार में खड़े देखा जा सकता है। ऐसा ही दृश्य बैंगलोर के कांग्रेस दफ्तर के सामने भी देखने को मिला है। वहां भी बड़ी तादाद में बुर्कानशीं महिलाएं 'खटाखट' के नाम से ऐलान किए गए पैसे मांगने गारंटी कार्ड लेकर पहुंची हैं। कुछ महिलाओं ने 'गारंटी कार्ड' की मांग की, वहीं जिन लोगों को पहले कार्ड मिल चुके थे, उन्होंने अपने अकाउंट में पैसे डालने करने के लिए फॉर्म डिपाजिट किए। कुछ महिलाओं ने दावा किया कि उन्हें पैसे के लिए डिटेल्स के साथ फॉर्म जमा करने के बाद कांग्रेस कार्यालय से रसीदें भी दी गईं हैं। दरअसल, कांग्रेस ने 'घर-घर गारंटी' स्कीम शुरू किया था, जिसके तहत नेताओं को तकरीबन 80 मिलियन घरों तक पहुंचने और उन्हें इसकी 25 गारंटियों के बारे में बताने का जिम्मा सौंपा गया था। इन गारंटियों में महालक्ष्मी योजना भी शामिल थी, जिसके तहत पार्टी ने वादा किया था कि वो गरीबी रेखा से नीचे (BPL) रहने वाले परिवारों की महिला मुखिया के बैंक अकाउंट में सीधे 8,500 रुपये प्रति माह डालेगी। यह योजना कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार की गृह लक्ष्मी गारंटी योजना की तरह ही है, जिसमें गरीब परिवारों की महिला मुखिया को 2,000 रुपये देने का ऐलान किया गया था। हालाँकि, चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने गृह लक्ष्मी, बेरोज़गारी भत्ता, महिलाओं को फ्री बस सेवा, जैसी गारंटियां लागू करने का दावा तो किया, लेकिन इसके बाद जब पार्टी के विधायक अपने क्षेत्रों में विकास कार्य करवाने के लिए डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के पास पहुंचे, तो उन्होंने कह दिया कि अभी गारंटियों में पूरा पैसा लग चूका है और विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं है। यही नहीं, कुछ महीने पहले जब कर्नाटक में भीषण सूखा पड़ा, तो भी कांग्रेस सरकार के पास उससे निपटने के लिए पैसा नहीं था, केंद्र ने उसे 3,454 करोड़ रुपये जारी किए थे। यही नहीं, सरकार बनने के बाद कर्नाटक में कांग्रेस ने अपनी मुफ्त की 5 चुनावी गारंटियों को पूरा करने के लिए SC/ST वेलफेयर फंड से 11 हजार करोड़ रुपये निकाल लिए थे। बता दें कि, कर्नाटक शेड्यूल कास्ट सब-प्लान और ट्रायबल सब-प्लान एक्ट के मुताबिक, राज्य सरकार को अपने कुल बजट का 24.1% SC/ST के उत्थान के लिए खर्च करना पड़ता है। लेकिन उन 34000 करोड़ में से भी 11000 करोड़ रुपए राज्य सरकार ने निकाल लिए। इसके बाद राज्य सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए एक योजना शुरू की, जिसमे उन्हें वाहन खरीदने पर 3 लाख तक की सब्सिडी देने का ऐलान किया था। उस योजना के अनुसार, यदि कोई अल्पसंख्यक 8 लाख रुपये की कार खरीदता है, तो उसे मात्र 80,000 रुपये का शुरूआती भुगतान करना होगा। 3 लाख रुपए राज्य सरकार देगी, यही नहीं बाकी पैसों के लिए भी बैंक ऋण सरकार ही दिलाएगी। वहीं, इस साल के बजट में कांग्रेस सरकार ने वक्फ प्रॉपर्टी के लिए 100 करोड़ और ईसाई समुदाय के लिए 200 करोड़ आवंटित किए हैं, फिर मंदिरों पर 10 फीसद टैक्स लगाने का बिल लेकर आई थी, लेकिन भाजपा के विरोध के कारण वो बिल पास नहीं हो सका। जानकारों का कहना है कि, धन का सही प्रबंधन नहीं करने के कारण, राज्य सरकार का खज़ाना खाली हो गया और उसके पास विकास कार्यों और अपनी जनता को सूखे से राहत देने के लिए पैसा नहीं बचा। शॉर्टकट के चक्कर में जान जोखिम में डाल रहे है श्रद्धालु, महाकाल मंदिर से सामने आई हैरान कर देने वाली तस्वीरें 8 जून को मोदी सरकार 3.0 का शपथ ग्रहण, ये विदेशी मेहमान कार्यक्रम में होंगे शामिल उत्तराखंड में बड़ा हादसा, सहस्त्रताल में लापता 22 ट्रैकर्स में 9 की मौत