मुंबई: वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर देशभर में चर्चा हो रही है, और इस मुद्दे पर शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसदों की गैरमौजूदगी के चलते मुंबई में उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री के बाहर मुस्लिम समुदाय ने प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के बाद शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता और पार्टी सांसद संजय राउत ने आरोप लगाया कि ये प्रदर्शन करने वाले लोग आधे अपराधी हैं और उन्हें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भेजा है। दरअसल, अभी तक उद्धव गुट द्वारा इस बारे में अपना स्टैंड स्पष्ट नहीं किया है, हालाँकि, पार्टी सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने जरूर इस बिल को कांग्रेस के देखादेखी मुस्लिमों के खिलाफ बताया है, लेकिन उद्धव गुट हाईकमान से कोई बयान नहीं आया है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रेस कॉन्फ्रेंस में संजय राउत ने प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें दिखाईं और कहा कि ये लोग शिंदे के समर्थक हैं। उन्होंने कहा कि मातोश्री के बाहर जो हंगामा हुआ, उसमें शामिल लोग सुपारी लेकर आए थे, और ये सुपारी गैंग दिल्ली से संचालित होती है। राउत ने यह भी दावा किया कि मातोश्री के बाहर जो केवल 10-12 लोग नारेबाजी कर रहे थे, वे सभी मुख्यमंत्री शिंदे के आदमी हैं और उनके पास इस बात के सारे सबूत मौजूद हैं। राउत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह सुपारी गैंग वर्षा (एकनाथ शिंदे के आवास) से संचालित होती है और इसके मुखिया दिल्ली में बैठे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में जो राजनीति हो रही है, वह गलत दिशा में जा रही है, और जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। राउत ने यह भी कहा कि मोदी सरकार पिछले 10 साल से ऐसे ही बयान दे रही थी और अब वे हार गए हैं। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र में भी देवेंद्र फडणवीस और शिंदे की "सुपारी गैंग" हार जाएगी, और महाराष्ट्र के लोग उन्हें माफ नहीं करेंगे। क्या है वक्फ एक्ट और इसके पास कितने अधिकार :- वक्फ अधिनियम को पहली बार नेहरू सरकार द्वारा 1954 में संसद द्वारा पारित किया गया था। इसके बाद, इसे निरस्त कर दिया गया और 1995 में एक नया वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसमें वक्फ बोर्डों को और अधिक अधिकार दिए गए। 2013 में, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसे असीमित अधिकार दे दिए। जिसके बाद ये प्रावधान हो गया कि अगर वक्फ किसी संपत्ति पर दावा ठोंक दे, तो पीड़ित अदालत भी नहीं जा सकता, ना ही राज्य और केंद्र सरकारें उसमे दखल दे सकती हैं। पीड़ित को उसी वक्फ के ट्रिब्यूनल में जाना होगा, जिसने उसकी जमीन हड़पी है, फिर चाहे उसे जमीन वापस मिले या ना मिले। यही कारण है कि बीते कुछ सालों में वक्फ की संपत्ति दोगुनी हो गई है, जिसके शिकार अधिकतर दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज के लोग ही होते हैं। वक्फ कई जगहों पर दावा ठोंककर उसे अपनी संपत्ति बना ले रहा है और आज देश का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है। रेलवे और सेना के बाद सबसे अधिक जमीन वक्फ के पास है, 9 लाख एकड़ से अधिक जमीन। लेकिन गौर करने वाली बात तो ये है कि, रेलवे और सेना की जमीन के मामले अदालतों में जा सकते हैं, सरकार दखल दे सकती है, लेकिन वक्फ अपने आप में सर्वेसर्वा है। उसमे किसी का दखल नहीं और ना ही उससे जमीन वापस ली जा सकती है। मोदी सरकार इसी असीमित ताकत पर अंकुश लगाने के लिए बिल लाइ है, ताकि पीड़ित कम से काम कोर्ट तो जा सके और वक्फ इस तरह हर किसी की संपत्ति पर अपना दावा न ठोक सके। इस बिल को विपक्ष, मुस्लिमों पर हमला बताकर विरोध कर रहा है। सरकार ने विपक्ष की मांग को मानते हुए इसे JPC के पास भेजा है, जहाँ लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सांसद मिलकर बिल पर चर्चा करेंगे और इसके नफा-नुकसान का पता लगाएंगे। 'हिन्दुओं पर हमले की 3600 से अधिक घटनाएं..', भारत सरकार को 57 बुद्धिजीवियों का पत्र, हिन्दू नरसंहार को संसद में मान्यता देने की मांग 'मोहम्मद यूनुस सेक्युलर आदमी, वे दरार नहीं आने देंगे..', बांग्लादेश हिंसा के बीच शरद पवार ने की अंतरिम प्रमुख की तारीफ शाही ईदगाह का सर्वे होगा या नहीं ? श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में आज अहम सुनवाई