'हिन्दुओं को काशी-मथुरा सौंप दें मुसलमान..', पुरातत्वविद केके मुहम्मद ने क्यों कही ये बात ?

लखनऊ: प्रसिद्ध आर्कियोलॉजिस्ट केके मोहम्मद ने काशी और मथुरा को लेकर चल रहे विवाद पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को "बड़ा दिल" दिखाते हुए काशी और मथुरा के स्थलों को हिंदुओं को सौंप देना चाहिए, क्योंकि इन स्थानों में हिंदुओं की गहरी आस्था है। बता दें कि, केके मोहम्मद ने बाबरी की खुदाई कर राम जन्मभूमि मंदिर के बारे में महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले थे और उस जगह एक प्राचीन मंदिर होने की बात बताई थी। 

 

अब उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा है कि, भारत आज सेक्युलर है, तो हिन्दुओं की वजह से है, हिन्दू यहाँ बहुसंख्यक हैं, इसलिए देश सेक्युलर है। मुसलमानों को इसका शुक्रगुजार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मुसलमान बहुसंख्यक होते, तो भारत की धर्मनिरपेक्षता बनाए रखना मुश्किल होता। इस संदर्भ में, उन्होंने यह भी याद दिलाया कि आजादी के बाद मुसलमानों के लिए पाकिस्तान बनाया गया था, जबकि हिंदुओं को भारत दिया गया, फिर भी हिन्दुओं ने इसे हिन्दू देश नहीं बनाया, सेक्युलर रखा और इसके लिए मुसलमानों को आभार व्यक्त करना चाहिए।

 

केके मोहम्मद ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब उन्हें बाबरी मस्जिद के पश्चिमी हिस्से में एक प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले थे, जो गुर्जर-प्रतिहार राजवंश द्वारा 10वीं और 11वीं शताब्दी के बीच बनाया गया था। उन्होंने ज्ञानवापी और शाही ईदगाह मस्जिदों को भी हिंदुओं को सौंपने का सुझाव दिया, यह कहते हुए कि यही इस मुद्दे का एकमात्र समाधान है। उनका कहना है कि सभी धर्मगुरुओं को एकजुट होकर इन संरचनाओं को हिंदू समुदाय को सौंप देना चाहिए, क्योंकि काशी, मथुरा और अयोध्या हिंदुओं के लिए विशेष महत्व रखते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इन स्थानों से जुड़ी मस्जिदों के लिए मुसलमानों की कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं है। और मुसलमानों को ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के लिए खुद आगे आना चाहिए। 

 

वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी केस और मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद के मामले में लगातार सुनवाई चल रही है, और केके मोहम्मद का यह बयान इन विवादों के बीच महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया है। बता दें कि, केके मुहम्मद की तरह इतिहासकार इरफ़ान हबीब भी मानते हैं कि काशी-मथुरा औरंगज़ेब ने तोड़े थे और वहां मस्जिदें बनाई थी। इरफ़ान हबीब कहते हैं कि, इसके कई सबूत भी मौजूद हैं। लेकिन जब उन्हें वापस लौटाने का सवाल आता है, तो इरफ़ान हबीब कहते हैं कि अब ऐसा करने से क्या फायदा ? साथ ही वो 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का भी हवाला देते हैं। कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए इस कानून के मुताबिक़, हिन्दू समुदाय, पुराने समय में तोड़े गए अपने मंदिरों को वापस पाने का दावा नहीं कर सकता। इस कानून में केवल अयोध्या को अपवाद रखा गया था।  

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