वाशिंगटन: अमेरिका के 2024 के राष्ट्रपति चुनावों में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल की है, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को हार का सामना करना पड़ा। ट्रंप की इस जीत पर मुस्लिम देशों की मीडिया में विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कई रिपोर्ट्स में कमला हैरिस की हार का कारण इजरायल-गाजा संघर्ष में उनकी स्थिति को बताया गया है। 'अरब न्यूज' ने कहा कि कमला हैरिस का फिलिस्तीन समर्थकों के प्रति समर्थन न दिखाना उनके वोट बैंक में कमी का कारण बन गया। उनके अनुसार, हैरिस के चुनाव प्रचार के दौरान डेमोक्रेटिक पार्टी ने इजरायल को समर्थन दिया, जिससे उनके लिबरल वोटर्स में असंतोष बढ़ गया। एक लेख में यह भी कहा गया कि फिलिस्तीन के मुद्दे पर हैरिस ने सहानुभूति नहीं दिखाई, और उनके फिलिस्तीनी समर्थकों का विश्वास कम हुआ। वहीं, 'द न्यूज अरब' में सीरियन-अमेरिकन लेखक ने ट्रंप की जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में एंटी-मुस्लिम एजेंडा फैलाया था और मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध भी लगाया था। इस लेखक के अनुसार, कई लोगों ने डेमोक्रेटिक पार्टी को सबक सिखाने के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार का समर्थन किया, हालांकि ट्रंप का दोबारा राष्ट्रपति बनना कई मुसलमानों के लिए चिंताजनक हो सकता है। अगले 4 साल मुसलमानों पर भारी रह सकते हैं। 'अलजजीरा' के आर्टिकल में कहा गया कि इजरायल के समर्थन के चलते कई अरब-अमेरिकन और मुस्लिम वोटर्स बाइडन प्रशासन के खिलाफ हो गए थे। दलिया मोगाहेद ने कहा कि डेमोक्रेटिक पार्टी का इजरायल समर्थक रुख कमला हैरिस के चुनावी नुकसान का कारण बन सकता था, लेकिन किसी एक समूह को इसका दोष देना सही नहीं होगा। गाजा के नागरिकों में इस चुनाव को लेकर निराशा दिखी। गाजा निवासी खालिद अबू ने कहा कि चाहे कोई भी राष्ट्रपति बने, गाजा में कोई सुधार नहीं दिखता। वहीं, उत्तरी गाजा के इब्राहिम अबू मुरासा ने ट्रंप के जीतने पर संघर्ष में कमी आने की उम्मीद जताई। उन्होंने बाइडन प्रशासन पर गाजा में "नरसंहार" का समर्थन करने का आरोप लगाया। फ्लोरिडा के फिलिस्तीनी-अमेरिकी समुदाय की कार्यकर्ता राशा मुबारक ने कहा कि कमला हैरिस की हार से यह साबित होता है कि डेमोक्रेटिक पार्टी अपने मूल्यों से दूर हो गई है। उन्होंने कहा कि जब ट्रंप इजरायल का समर्थन कर रहे थे, हैरिस को इस मुद्दे पर इंसानियत की दृष्टि से बोलना चाहिए था, जो उन्होंने नहीं किया। ट्रंप के पिछले कार्यकाल में उनके द्वारा मुस्लिम बहुल देशों के लोगों पर लगाए गए प्रतिबंधों का भी इस चुनाव में उल्लेख किया गया। उन्होंने पहले कार्यकाल में इराक, सीरिया, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन से आने वाले नागरिकों पर यात्रा प्रतिबंध लगाए थे। ट्रंप ने अपने अभियान में यह कहा कि यदि वे दोबारा सत्ता में आए तो कुछ मुस्लिम देशों के नागरिकों पर प्रतिबंध फिर से लागू करेंगे, ताकि अमेरिका की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। साथ मरने चले थे गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड, फिर जो हुआ वो कर देगा हैरान 'फोटो-वीडियो हो तो दिखाएं, सिर्फ आरोप लगाने पर हटाना तो गलत है', SDM का झलका-दर्द 'बंटेंगे तो एक सिलेंडर 1200 रुपए में मिलेगा..', योगी पर सपा का एक और पोस्टर-वार