वाशिंगटन। म्यांमार सरकार द्वारा म्यांमार में रोहिंग्या संकट की रिपोर्टिंग करने वाले ब्रिटिश पत्रकारों को गंभीर सजा सुनाये जाने के मामले को लेकर ब्रिटेन के बाद अब अमेरिका भी सख्त हो गया है। अमेरिका ने रोहिंग्या से इन पत्रकारों को तुरंत रिहा करने की बात कही है। इस महीने नेपाल में होगा बिम्सटेक सम्मेलन, पाकिस्तान रहेगा नदारद दरअसल अमेरिका के उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने मंगलवार को ट्वीट करते हुए कहा है कि जिन पत्रकारों को म्यामांर सरकार ने जेल में डाल दिया है उन्हें जेल नहीं बल्कि उनकी तो तारीफ होनी चाहिए कि उन्होंने मानवाधिकार उल्लंघन और बड़े पैमाने पर लोगों की हत्याओं को बेनकाब करने का जोखिम उठाया। उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए इस मामले में अपना गुस्सा प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि धर्म और प्रेस की स्वतंत्रता किसी भी लोकतंत्र के लिए बेहद आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन के दो पत्रकार (32 वर्षीय वा लोन और 28 वर्षीय क्यॉ सो ओ) म्यांमार में ब्रिटिश न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के लिए रिपोर्टिंग करते थे। वे कुछ दिनों पूर्व ही म्यांमार में चल रहे रोहिंग्या संकट की रिपोर्टिंग कर रहे थे। इस खबर के सामने आते ही म्यांमार सरकार ने इसे देश की गोपनीयता नियम का उल्लंघन बताते हुए इन दोनों पत्रकारों को सात-सात साल की सजा सुना दी है। म्यांमार द्वारा पत्रकारों को इतनी लम्बी सजा सुनाये जाने के बाद से ब्रिटेन समेत पुरे विश्व के मीडिआ संगठन इस फैसले का विरोध कर चुके है। ख़बरें और भी रोहिंग्या दुर्व्यहार मामला : म्यांमार बोला झूठी है संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट फेसबुक ने म्यांमार सेना से जुड़े सभी एकाउंट्स को किया ब्लॉक रोहिंग्या हिंसा एक साल पूरा करे इन्साफ की मांग