ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम है ये दौलत और शोहरत सिर्फ, कुछ ज़ख्मों का मरहम है अजब सी कशमकश है,रोज़ जीने, रोज़ मरने में मुक्कमल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है