प्रयागराज : आध्यात्म के महासंगम कुंभ मेले के पहले शाही स्नान के लिए जाने वाले तमाम अखाड़ों के नागा साधुओं को देखने के लिए शाही स्नान घाट के रास्ते पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। जैसे ही नागा साधु गुजरते वैसे ही वहां उनके चरण के नीचे की रेत बटोरने के लिए श्रद्धालु टूट पड़ते। मुट्टठी भर रेत बटोरने के बाद उसे श्रद्धालुओं ने सहेज कर रख लिया। दोपहर तक चले शाही स्नान घाट जाने वाले रास्ते पर यही स्थिति रही। ग्रहों की शांति के लिए, यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर करते हैं तुलादान यह है मान्यता प्राप्त जानकारी अनुसार ऐसा माना जाता है की शाही स्नान के लिए जाने वाले नागाओं का चरण रज बेहद शुभ होते है। श्रद्धालुओं का कहना है कि नागा देवताओं के ही गण है। इसलिए वे पूज्यनीय है। ऐसे में शाही स्नान के आगमन-प्रस्थान मार्ग से गुजरने के बाद उनके चरण की रेती तो माथे से लगाना देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होने जैसा होता है। इस वजह से मकर संक्रांति को बनाते हैं खिचड़ी और तिल के पकवान जानकारी के लिए बता दें पूरे घर में उस मिट्टी का छिड़काव करने के बाद बचा हुआ चरण रज पूजाघर में रख दिया था। इस बार भी मुट्ठीभर चरणरज एकत्र किया गया। यही कारण रहा की श्रद्धालु सुबह जूना अखाड़े के नागाओं के शाही स्नान पर जाने का इंतजार करती नजर आये। महाभारत के अनुसार इसलिए होती है सांप की जीभ दो हिस्सों में कटी जानिए क्यों, हनुमान जी को इतना प्रिय है मंगलवार ? जानिए मछलियां कैसे बदल सकती हैं आपका भाग्य