दुनियाभर में कई लोग हैं जो कालसर्प दोष से पीड़ित हैं. वहीं अगर आप भी उन्ही में से एक है तो नाग पंचमी के दिन नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं और इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, पुष्प, धूप व दीप से पूजन करें तथा सफेद मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद प्रार्थना करें- सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले. ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता. ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:. ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:. प्रार्थना के बाद नाग गायत्री का जप करें- ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्. अब उसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें- ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:. नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा. इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:. नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा. कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा. नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा. इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:. नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा.सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता. नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा. मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:. नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा. पृथिव्यांचैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता. नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा. सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता. नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा. ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा प्रचरन्ति च. नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा. समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जलवासिन:. नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा. रसातलेषु या सर्पा: अनन्तादि महाबला:. नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा. इस प्रकार पूजन करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं. शरीर के इस अंग पर हो तिल तो जीवन में जमकर भरा होता है रोमांस सावन के महीने में जरूर करें शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम् का जाप सावन में यहाँ जानिए त्र्यंबकेश्वर से लेकर वैद्यनाथ तक की कहानी