नैना झील के उत्तरी किनारे पर स्थित नैनादेवी का मंदिर भक्तों के लिए बहुत खास है। यह 52 शक्तिपीठ में से एक है। जी हाँ और यह भक्त जनों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। साल 1880 के भूस्खलन से यह मंदिर नष्ट हो गया था, हालाँकि इसको दोबारा बनवाया गया है। यहां दो नेत्रों की छवि अंकित है, जो नैना देवी को दर्शाती है। वहीं प्रचलित मान्यता के अनुसार मां के नयनों से गिरे आंसू ने ही ताल का रूप धारण कर लिया और इसी वजह से इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा। कहा जाता है मंदिर के अंदर नैना देवी के साथ गणेश जी और मां काली की भी मूर्तियां हैं। मंदिर के प्रवेशद्वार पर पीपल का एक विशाल वृक्ष है। जी हाँ और यहां माता पार्वती को नंदा देवी कहा जाता है। आपको बता दें कि यह मंदिर नैनीताल बस स्टैंड से 2 किमी की दूरी पर है। इस मंदिर परिसर में मां को चढ़ाने के लिए पूजा सामग्री मिल जाती है। जी दरअसल ऐसा माना जाता है कि माता के दर्शन मात्र से ही लोगों के नेत्र रोग की पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है। इसी के साथ मंदिर के अलावा यहां का मल्लीताल और तल्लीताल पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। जी हाँ और इन दोनों तालों को जोड़ने वाली सड़क माल रोड कहलाती है। आसपास घूमने के लिए चिड़ियाघर, राजभवन, केव गार्डन, भीमताल, नौकुचिया ताल, भुवाली और घोड़ाखाल, सातताल, मुक्तेश्वर, कैंचीधाम, रामगढ़ और रानीखेत जैसे कई दर्शनीय जगह मौजूद है। आपको बता दें कि उत्तरखंड में स्थित यह पर्यटन स्थल सड़क मार्ग के जरिये देश के मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है। जी हाँ और अगर आप रेल से नैनीताल जाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कोठगोदाम स्टेशन पर उतरना होगा। इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि यह शहर रंग-बिरंगी कैंडल्स और बाल मिठाई के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ मॉल रोड शॉपिंग के लिए अच्छी जगह है और यहां स्थित तिब्बती मार्केट में ऊनी कपड़ों के अलावा कई तरह की सजावटी वस्तुएं भी मिलती हैं। आज से नवरात्र प्रारंभ, आप भी कीजिए इन शक्तिपीठों के दर्शन नवरात्रि: आज इस आरती से करें माँ शैलपुत्री को खुश नवरात्र के पहले दिन जरूर पढ़े या सुने माता शैलपुत्री की पौराणिक कथा