नैनीताल : नैनीताल उच्च न्यायालय ने खनन से जुड़े मसले पर दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 4 माह के लिए खनन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया है। न्यायालय ने अपने निर्णय के तहत कहा है कि राज्य में खनन को प्रतिबंधित करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी 4 माह में अपनी रिपोर्ट उच्च न्यायालय को प्रस्तुत करेगी। इस कमेटी में पर्यावरण विभाग के सचिव, वन विभाग के अधिकारी, क्लाईमेट चेंज से जुडत्रे अधिकारी और डीजी एफआरआई, डायरेक्टर वाडिया इंस्टीट्युट और डीजी जियोलाॅजिकल सर्वे आॅफ इंडिया सदस्य होंगे। यह समिति आने वाले 50 वर्षों के रोड मैप को प्रस्तुत करते हुए खनन से होने वाले नुकसान और खनन करने को लेकर अन्य नियमों की सिफारिश प्रस्तुत करेगी। खनन पर न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को लेकर माना जा रहा है कि इससे बड़े पैमाने पर खान और इसका कारोबार प्रभावित होगा। कोर्ट ने नदी किनारे होने वाले खनन के ही साथ सभी प्रकार के खनन को प्रतिबंधित कर दिया है। मिली जानकारी के अनुसार बागेश्वर के गरवा सिरमौली गांव में निवास करने वाले नवीचंद्र पंत व मनोज पंत ने वर्ष 2016 में दायर की गई जनहित याचिका पर निर्णय दिया था। न्यायाधीशों ने यह निर्णय बढ़ती गर्मी के चलते दिया। उनका कहना था कि खनन से नुकसान हो रहा है। हालात ये हैं कि गर्मी के ही दिनों में खनन बढ़ने से गांवों में कई जलस्त्रोत सूखरहे हैं। स्कूलों को नुकसान हो रहा है। इसके बाद खनन माफिया सक्रिय है। दूसरी ओर न्यायालय ने खनन कार्य में होने वाले कथित असंगत कार्य को लेकर की जाने वाली जांच को प्रभावित होने से रोकने के लिए कई तरह के प्रयास किए हैं। न्यायालय ने कमाऊॅं कमिश्नर डी सेंथिल पांडियन और प्रिंसपल चीफ कंजर्वेटर राजेंद्र महाजन के स्थानांतरण पर रोक लगा दी है। अधिकारियों से कहा है कि वे विभिन्न जांच कार्रवाई में जानकारियां दें। मानसून सत्र तक नहीं हो सकेगी लोकपाल की नियुक्ति! SC ने कहा जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक दर्जे के मसले को केंद्र और राज्य सरकार तय करे रोहतक कोर्ट के बाहर फायरिंग से एक की मौत