नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सहयोगी आतिशी के खिलाफ चल रहे मानहानि मामले में आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी। यह मामला 2018 में दिए गए एक बयान से जुड़ा है, जिसमें आम आदमी पार्टी (AAP) नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर आरोप लगाया था कि उसने दिल्ली की मतदाता सूची से नाम हटाए हैं। इससे पहले 2 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल और आतिशी के खिलाफ इस मामले में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद, केजरीवाल और आतिशी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर कोर्ट ने नोटिस जारी कर दोनों की याचिका स्वीकार कर ली। सुप्रीम कोर्ट इस बात पर विचार करेगा कि क्या मानहानि कानून राजनीतिक भाषणों के दौरान की गई टिप्पणियों पर लागू हो सकता है, खासकर जब संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता राजीव बब्बर और दिल्ली सरकार को भी इस मामले में नोटिस जारी किया है, जिसमें केजरीवाल और आतिशी ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी है। आप नेताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि भाजपा नेता राजीव बब्बर ने मानहानि का मामला भाजपा की ओर से दायर किया है, जबकि न तो केंद्र सरकार और न ही दिल्ली सरकार ने इस मुद्दे पर कोई शिकायत दर्ज कराई है। यह मामला 2018 की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से जुड़ा है, जिसमें आप नेताओं ने आरोप लगाया था कि भाजपा के आदेश पर चुनाव आयोग ने दिल्ली की मतदाता सूची से बनिया, पूर्वांचली और मुस्लिम समुदाय के लगभग 30 लाख लोगों के नाम हटा दिए थे। सिंघु बॉर्डर को पूरी तरह खोलने की मांग, पर हाई-कोर्ट ने सुनवाई से किया इंकार गोवा के CM-स्वास्थ्य मंत्री को दिल्ली से बुलावा, क्या है भाजपा हाईकमान का इरादा ? पेंशन चुराने का तरीका है अग्निवीर, अडानी की जेब में जाता है पैसा- राहुल गांधी