'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर JPC में प्रियंका गाँधी समेत कांग्रेस के इन नेताओं के नाम

नई दिल्ली: 'एक देश-एक चुनाव' (वन नेशन-वन इलेक्शन) पर चर्चा और समीक्षा के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया है। अब लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला जेपीसी का गठन करेंगे। यह समिति मुद्दे की गहन समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी, जो आगे विधायी प्रक्रिया के लिए सरकार को सौंपी जाएगी।

क्या काम करती हैं संयुक्त संसदीय समिति? संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन भारतीय संसद के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—के सदस्यों को मिलाकर किया जाता है। यह समिति किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे या विधेयक पर विस्तार से अध्ययन करती है तथा विशेषज्ञों व संबंधित पक्षों से चर्चा कर रिपोर्ट तैयार करती है। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार विधेयक में जरूरी परिवर्तन करती है तथा उसे संसद में प्रस्तुत करती है।

'वन नेशन-वन इलेक्शन' जैसे संवेदनशील और बड़े मुद्दे पर राजनीतिक सहमति बनाना आवश्यक है, क्योंकि यह संविधान संशोधन विधेयक है तथा इसे पारित करने के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता है।

जेपीसी में कांग्रेस के चार सदस्य कांग्रेस ने जेपीसी के लिए अपने चार सदस्यों के नाम तय कर लिए हैं। ये नाम लोकसभा स्पीकर को सौंपे जाएंगे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, मनीष तिवारी, प्रियंका गांधी, सुखदेव भगत एवं रणदीप सुरजेवाला को सम्मिलित करने का निर्णय लिया गया है।

सदस्यों की भूमिका और अनुभव मनीष तिवारी और रणदीप सुरजेवाला: पेशे से वकील। सुखदेव भगत: आदिवासी नेता के तौर पर पहचान। प्रियंका गांधी: महिला नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करेंगी।

इंडिया गठबंधन से संभावित सदस्य इंडिया गठबंधन के घटक दलों से भी जेपीसी के लिए सदस्य चुने जा रहे हैं।

डीएमके (DMK) डीएमके की ओर से वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद पी. विल्सन का नाम सामने आ रहा है। उनके साथ डीएमके सांसद टी. सेल्वागेथी को भी समिति में सम्मिलित किया जा सकता है।

समाजवादी पार्टी (सपा) सपा की ओर से धर्मेंद्र यादव का नाम सबसे आगे है। वह पहले ही 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर सपा का पक्ष रख चुके हैं और इस मुद्दे पर उनकी समझ को पार्टी महत्वपूर्ण मानती है।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) टीएमसी से वरिष्ठ नेता कल्याण बनर्जी और प्रवक्ता साकेत गोखले के नामों की चर्चा है। ये दोनों नेता पार्टी के विचार और दृष्टिकोण को जेपीसी में प्रभावी ढंग से रख सकते हैं।

जेपीसी में सदस्यों की संख्या जेपीसी में सदस्यों की संख्या लोकसभा स्पीकर तय करेंगे। आमतौर पर लोकसभा के सदस्य राज्यसभा के सदस्यों की तुलना में दोगुनी संख्या में सम्मिलित होते हैं।

समिति की रिपोर्ट का महत्व जेपीसी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार विधेयक में संशोधन कर उसे संसद में पेश करती है। 'वन नेशन-वन इलेक्शन' संविधान संशोधन विधेयक है, जिसके लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता है।

सरकार की रणनीति 'एक देश-एक चुनाव' का विचार देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का है। सरकार इसे लागू करने के लिए राजनीतिक सहमति बनाने की कोशिश कर रही है। जेपीसी के जरिए विभिन्न दलों के विचार और सुझाव जुटाए जाएंगे जिससे आम सहमति बनाई जा सके। यह कवायद सरकार के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विधेयक के पारित होने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा।

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