हिंदू धर्म में नंदी को भगवान शिव का नंदीश्वर अवतार मानकर पूजा जाता है। आप सभी जानते ही होंगे पुराणों में नंदी को भगवान भोलेनाथ की सवारी कहा गया है। ऐसे में भगवान शिव के उपासकों के लिए नंदी गायत्री मंत्र बहुत ही विशेष माना जाता है। जी दरअसल मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को पूर्ण रूप से प्रसन्न करने के लिए नंदी देव जी का आर्शीवाद प्राप्त करना बहुत ही आवश्यक है। कहा जाता है नंदी को ज्ञान और बुद्धि का स्वामित्व प्राप्त है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं नंदी गायत्री मंत्र का पाठ कैसे किया जाता है और इसके लाभ। कैसे किया जाता है नंदी गायत्री मंत्र का पाठ- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, नन्दिकेश्वराय धीमहि, तन्नो वृषभ: प्रचोदयात् ।। स चमत्कारी मंत्र के पाठ के दिन भक्त सुबह सूर्योदय से पहले जग कर भगवान नंदी जी का ध्यान करते हैं। जी हाँ और इसके बाद पवित्र स्नान के साथ तन और मन में मंत्र उच्चारण के साथ मन की शुद्धि की जाती है। वहीं इसके बाद जातकों द्वारा इस पाठ को आरंभ कर दिया जाता है। ध्यान रहे मंत्र के पाठ को 108 बार करना सबसे उत्तम माना गया है। इसी के साथ कुछ जातक नंदी गायत्री मंत्र के पाठ को 9 या 11 बार करते हैं। भगवान शिव के उपासक इस पाठ को 1008 बार भी करते हैं और इस पाठ को बहुत ही कठिन माना जाता है। नंदी गायत्री मंत्र के लाभ- पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदी जी को भगवान शिव की सभी शक्तियां प्राप्त है। इस वजह से भगवान शिव के आशीर्वाद के लिए नंदी जी का प्रसन्न होना बहुत ही आवश्यक है। जी हाँ और इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से मनुष्य ज्ञान और बुद्धि में श्रेष्ठ हो जाता है। कहा जाता है अशांत मन वाले जातकों के लिए नंदी गायत्री मंत्र का जाप सबसे उत्तम माना गया है। इसी के साथ सुखद जीवन की कामना से भी इस मंत्र का जाप और पाठ किया जाता है। जी दरअसल इस पाठ से शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है। वहीं मान्यताओं के अनुसार नंदी जी की प्रतिमा के कान में अपनी इच्छा प्रकट करने से इच्छा पूरी हो जाती है। रात को अकेले शिवलिंग के पास करें यह गुप्त उपाय, भर जाएंगे धन के भंडार कब है वैशाख माह का दूसरा प्रदोष व्रत? जानिए तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त जन्म के समय राम था नाम, जानिए कैसे बने परशुराम