आप सभी को बता दें कि आज यानी सोमवार 20 मई को नारद जयंती है. ऐसे में नारद जयंती हर साल हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि पर मनाते हैं और नारद मुनि भगवान विष्णु के अनन्य भक्त है उनके हर एक रोम में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी बसती हैं. कहते हैं नारद मुनि के पिता ब्रह्राजी है और नारद मुनि हमेशा तीनो लोकों में भ्रमणकर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे. इसी के साथ नारद मुनि का आदर सत्कार देवी-देवता, मुनि से लेकर असुरलोक के राजा समेत सारे राक्षसगण भी करते थे. आइए जानते हैं उनके जन्म की कथा. नारद मुनि जन्म कथा- मान्याताओं के अनुसार नारद मुनि ब्रह्रााजी की गोद से पैदा हुए थे. कहते है कि ब्रह्रााजी का मानस पुत्र बनने के लिए उन्होंने पिछले जन्मों में कड़ी तपस्या की थी. कहा जाता है कि पूर्व जन्म में नारद मुनि गंधर्व कुल में पैदा हुए थे और और उन्हें अपने रूप पर बहुत ही घमंड था.पूर्व जन्म में उनका नाम उपबर्हण था. एक बार कुछ अप्सराएं और गंधर्व गीत और नृत्य से भगवान ब्रह्मा की उपासना कर रही थी. तब उपबर्हण स्त्रियों के साथ श्रृंगार भाव से वहां आए ये देख ब्रह्मा जी अत्यंत क्रोधित हो उठे और उपबर्हण को श्राप दे दिया कि वह 'शूद्र योनि' में जन्म लेगा. ब्रह्मा जी के श्राप से उपबर्हण का जन्म एक शूद्र दासी के पुत्र के रूप में हुआ. बालक ने अपना पूरा जीवन ईश्वर की भक्ति में लगाने का संकल्प लिया और ईश्वर को जानने और उनके दर्शन करने की इच्छा पैदा हुई. बालक के लगातार तप के बाद एक दिन अचानक आकाशवाणी हुई कि इस जन्म में उस बालक को भगवान के दर्शन नहीं होंगे बल्कि अगले जन्म में वह उनके पार्षद के रूप उन्हें पुनः प्राप्त कर सकेगा. क्या आप जानते हैं कौन है गाज माता, जानिए उनकी कहानी आज है कूर्म जयंती, जानिए क्यों लिया था भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार आज है बुद्ध पूर्णिमा, इस तरह मनाते हैं बौद्ध धर्म के लोग