कोलकाता: पश्चिम बंगाल में नारदा स्टिंग टेप केस में देश की सबसे बड़ी अदालत ने अहम टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी द्वारा दिए गए धरना को गलत कहा है। इसके साथ ही CBI से कहा है कि वो उनके खिलाफ इस मुद्दे पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। अदालत ने कहा है कि मुख्यमंत्री के किए की सज़ा सबको क्यों दिया जाए? TMC नेताओं की गिरफ्तारी का विरोध कर रही CBI से मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह कानून तोड़ने को लेकर सीएम और कानून मंत्री पर कार्रवाई करने को लेकर स्वतंत्र है। किन्तु उनके कृत्यों का खामियाजा अभियुक्तों को नहीं दिया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि नेताओं के धरने आदि को सराहा नहीं जा सकता है। न ही अदालत सीएम और कानून मंत्री द्वारा किए गए कृत्यों का समर्थन करता है। शीर्ष अदालत ने जांच एजेंसी को कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई याचिका वापस लेने की इजाजत देते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि उसने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है। बता दें कि कोलकाता हाई कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस के तीन नेताओं सहित चार नेताओं को घर में नजरबंद करने की इजाजत दी थी। शिवसेना का आरोप- कोरोना से लड़ने की जगह यूपी चुनाव में लगी हुई भाजपा केंद्र सरकार पर बरसे राहुल, कहा- सत्ता में बैठे लोग लक्षद्वीप को नष्ट कर रहे एमके स्टालिन ने पत्रकारों के लिए कोविड प्रोत्साहन-भुगतान में की बढ़ोतरी